सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में एक दशक के बाद जस्टिस आर.भानुमती के रूप में महिला सदस्य शामिल हुई हैं. भानुमती, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रविवार को रिटायर होने के बाद इसका हिस्सा बन गईं. उनसे पहले, लंबे समय तक सुप्रीम कोर्ट में सेवा देने वाले जजों में से एक जस्टिस रूमा पाल कॉलेजियम प्रणाली का तीन साल तक 4 जून, 2006 को रिटायर होने तक हिस्सा रहीं. पाल को 28 जनवरी, 2000 को शीर्ष अदालत का जज नियुक्त किया गया था.
जस्टिस भानुमती तमिलनाडु से हैं. वे सुप्रीम कोर्ट के पांच सीनियर जजों में से हैं, जो नियमों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम का हिस्सा हैं. कॉलेजियम अलग-अलग हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश करता है. जस्टिस भानुमती के अलावा, जस्टिस एस.ए बोबडे, जस्टिस एन.वी रमना और अरुण मिश्रा और आर.एफ नरीमन कॉलेजियम का हिस्सा हैं.
जस्टिस भानुमती का जन्म 20 जुलाई 1955 को हुआ और उन्होंने तमिलनाडु हायर ज्यूडिशियल सेवा से अपनी शुरुआत की. उन्हें सीधे तौर पर 1988 में जिला जज नियुक्त किया गया था. भानुमति ने मद्रास हाई कोर्ट में भी सेवा दी है. सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले वे झारखंड हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस थीं. सुप्रीम कोर्ट के कुल 34 जजों में मात्र 3 महिलाएं हैं. इनमें जस्टिस भानुमति, जस्टिस इंदु मलहोत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी के नाम शामिल हैं.
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