सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, 6 महीने से ज्यादा नहीं रोक सकते मुकदमा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ अपवाद मामलों में कार्यवाही पर रोक छह महीने से अधिक जारी रह सकती है, लेकिन इसके लिए अदालत को बाकायदा आदेश पारित करना होगा. अदालत को बताना होगा कि ये मामला कैसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में है लिहाजा इसमें वक्त लगेगा.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 11:48 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने अहम फैसले में कहा कि किसी भी दीवानी व आपराधिक मुकदमे की कार्यवाही पर रोक यानी स्टे की अधिकतम अवधि छह महीने से ज्यादा नहीं हो सकती है.

जस्टिस आदर्श गोयल, जस्टिस रोहिंगटन फाली नरीमन और जस्टिस नवीन सिन्हा की पीठ ने फैसले में कहा कि जिन मुकदमों की कार्रवाई पर पहले से रोक लगी हुई है, उन पर भी रोक आज से छह महीने बाद अपने आप खत्म हो जाएगी.

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हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ अपवाद मामलों में कार्यवाही पर रोक छह महीने से अधिक जारी रह सकती है, लेकिन इसके लिए अदालत को बाकायदा आदेश पारित करना होगा. अदालत को बताना होगा कि ये मामला कैसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में है लिहाजा इसमें वक्त लगेगा.

ये ऐसे मामले होंगे जिनके बारे में अदालत को लगता हो कि उन मुकदमों पर रोक, उसके निपटारे से अधिक जरूरी है. इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को थोड़ी छूट दी है. देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि अमूमन तो 2 से 3 महीनों के ही स्थगन होना चाहिए वो भी कानूनी प्रक्रिया की पेचीदगी को देखते हुए.

अहम, पेचीदा और संवेदनशील मामलों में कोर्ट आदेश पारित कर और मामले को प्रतिदिन सुनने की शर्त के साथ इस तय अवधि से ज्यादा दिन के लिए स्थगित कर सकता है. यानी इस आदेश से देश की अदालतों की कार्यक्षमता बढ़ने के साथ मुकदमों का बोझ भी घटेगा. साथ ही जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की तादाद भी घटेगी क्योंकि मुकदमे जल्दी निपट जाएंगे.

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