सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली से मांगा प्रोजेक्टों का हिसाब-किताब

सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के मामले पर सुनवाई करते हुए प्रबंधकों से पूछा कि अब तक वो ग्राहकों से कितनी रकम वसूल चुके हैं. आम्रपाली ने अपने प्रस्ताव में केवल प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए जरूरी रकम की जानकारी ही दी है जबकि मकान खरीदारों से इकट्ठा की गई रकम के बारे में भी कोर्ट जानना चाहती है.

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 आम्रपाली ग्रुप से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा हिसाब आम्रपाली ग्रुप से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा हिसाब

सुरभि गुप्ता / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप से पूछा है कि वो घर खरीदारों से ली गई रकम का ब्योरा गुरुवार यानी कल तक कोर्ट को दे क्योंकि मुकदमे की सुनवाई के दौरान अब तक इस ग्रुप ने हरेक परियोजना में वसूली गई रकम, परियोजना पूरी होने की उम्मीद और स्थिति का ब्योरा नहीं दिया है.

कोर्ट का प्रबंधकों से सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के मामले पर सुनवाई करते हुए प्रबंधकों से पूछा कि अब तक वो ग्राहकों से कितनी रकम वसूल चुके हैं. आम्रपाली ने अपने प्रस्ताव में केवल प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए जरूरी रकम की जानकारी ही दी है जबकि मकान खरीदारों से इकट्ठा की गई रकम के बारे में भी कोर्ट जानना चाहती है.

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सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप से कहा है कि वो फिनिशिंग के करीब पहुंच चुके प्रोजेक्ट्स/टावर्स के बारे में भी तफसील से बताए. कोर्ट ने ये भी पूछा कि उन्हें पूरा करने में कितना पैसा खर्च होगा? कोर्ट ने ये तमाम जानकारी गुरुवार तक देने को कहा है. कोर्ट ने आम्रपाली प्रबंधन से पूछा कि लगभग तैयार हो चुके फ्लैट्स को फिनिशिंग पूरा करने के लिए भी क्या कंपनी को पैसा चाहिए? इस पर आम्रपाली ग्रुप ने कहा कि उन प्रोजेक्ट्स को तो कंपनी अपने दम पर पूरा कर सकती है.

बकाया रकम कोर्ट में जमा करेंगे ग्राहक

कोर्ट ने आम्रपाली को निर्देश दिए हैं कि वो एक-एक टावर पूरा करके सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दे. बाकी की बकाया रकम ग्राहक सुप्रीम कोर्ट में जमा करेंगे. प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद ही वो रकम रिली़ज की जाएगी.

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ग्राहकों को घर दिलाना कोर्ट की प्राथमिकता

फ्लैट खरीदारों के संगठन नेफोवा की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बैंकों को भी जमकर फटकार लगाई. बैंक एनसीएलटी के जरिए गृह ऋण की वसूली पर ज़ोर दे रहे हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि पहले ग्राहकों के हितों को सुरक्षित करने की तरफ ध्यान दिया जाएगा और उन्हें घर दिलाना कोर्ट की प्राथमिकता है. बैंक इस मामले में स्वार्थी नहीं हो सकते कि उन्हें सिर्फ अपनी रकम की चिंता है और ग्राहकों के घरों से कोई सरोकार नहीं है.

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