'तुम्हारा 'फिल्म स्कूल' यौन हिंसा वाला चिड़ियाघर है, मैं तुम्हारी पहली शिकार हूं. अब मुझे मन भर कर खा लो.' सत्यजीत रे फिल्म एवं टीवी इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई) की एक छात्रा ने अपनी सुसाइड नोट का अंत इन्हीं पीड़ादायी पंक्तियों से किया है. इस छात्रा ने मंगलवार रात खुदकुशी की कोशिश की. हालांकि उसने बचा लिया गया.
कोलकाता स्थित इस प्रतिष्ठित सरकारी फिल्म इस्टीट्यूट की इस छात्रा ने इंडिया टुडे के साथ अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि बार-बार होने वाले मानसिक और यौन हिंसा से परेशान होकर उसने मजबूरन खुदकुशी जैसा कदम उठा लिया.
इस छात्रा का सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर वायरल हो रखा है. इसमें उसने लिखा है कि उसने पहले भी एक बार खुदकुशी की कोशिश की थी. दोनों ही मामलों में उसने इसी इस्टीट्यूट को अपने कदम के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
अपने सुसाइड नोट में छात्रा ने लिखा है, 'अगर आप एसआरएफटीआई की छात्रा हैं और आपके साथ यौन उत्पीड़न और बलात्कार होता है, तो आपके पास जीने का कोई रास्ता नहीं बचता. मैंने जिंदा रहने की भरसक कोशिश की... लेकिन एक महिला अपनी जिंदगी की डोर बांधे रखने के लिए इतना ही कर सकती है.'
वहीं इंडिया टुडे से बातचीत में उस छात्रा ने बताया कि उसने दिसंबर 2015 में ही इंस्टीट्यूट के दो प्रोफेसरों और दो छात्रों के खिलाफ यौन उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतें देखने वाली आतंरिक समिति (ICC-SH) को शिकायत दी थी. छात्रा का कहना है कि आंतरिक समिति ने एक प्रोफेसर को दोषी भी पाया लेकिन उसके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.
वहीं यौन उत्पीड़न के आरोपी छात्रों की जहां तक बात हैं, तो छात्रा का कहना है कि इस मामले में फिल्म संस्थान कानूनों का उल्लंघन किया. उसका कहना है, 'उन्होंने छात्रों के खिलाफ शिकायत की जांच के लिए एक अन्य समिति गठित कर दी, जबिक किसी संस्थान को बस एक ही आंतरिक समिति रखने की अनुमति है.'
छात्रा का साथ ही आरोप है कि उन्होंने एक ऐसे पेपर पर उससे साइन करवाने को कोशिश की, जिसमें ऐसी बाते लिखी थी, जो उसने कभी कही ही नहीं. उसका कहना है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अजय मित्तल से शिकायत करने के बावजूद 'इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई'.
इस मामले में सत्यजीत रे फिल्म एंड टीवी इंस्टीट्यूट के निदेशक देबामित्र मित्रा सहित संस्थान के अन्य अधिकारियों से भी संपर्क करने की हमारी कोशिश असफल ही रही. हालांकि टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट में मित्रा ने छात्रा पर 'आधारहीन आरोप' लगाकर संस्थान की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया था.
अखबार से बातचीत में मित्रा ने कहा, 'उसने बिना किसी सबूत के पुलिस से मेरी शिकायत कर दी... उसने मुझ पर उसे धमकाने का भी आरोप लगाया. जबकि हकीकत यही है कि मेरे पास उसका फोन नंबर ही नहीं और ना ही हाल के दिनों में उससे मुलाकात हुई है.'
साद बिन उमर