सबरीमाला मंदिर जा रही महिला एक्टिविस्ट के घर तोड़फोड़, पत्थरबाजी

दोनों महिलाओं को पुलिस ने काफी समझाया-बुझाया. आईजी ने हालात की जानकारी दी. इसके बाद दोनों महिलाओं ने वापस लौटने का फैसला कर लिया.

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घर के बाहर तोड़फोड़ (फोटो-ANI) घर के बाहर तोड़फोड़ (फोटो-ANI)

रविकांत सिंह

  • त्रिवेंद्रम,
  • 19 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST

सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन करने निकली एक महिला के कोच्चि स्थित घर पर कुछ लोगों ने पत्थरबाजी की है. उसके घर में तोड़फोड़ भी की गई है.

यह महिला 4 किमी पैदल चलकर मंदिर पहुंचेगी. दो महिलाएं हैं, जो मंदिर में दर्शन के लिए निकली हैं. पुलिस ने इन्हें सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनाया है. इन दो महिलाओं में एक पत्रकार है और दूसरी महिला सामाजिक कार्यकर्ता है. इन दोनों महिलाओं को केरल पुलिस ने सुरक्षा कवर दिया है.

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लोगों ने दोनों महिलाओं की इस यात्रा की काफी आलोचना की है. सोशल मीडिया पर कई तरह की टिप्पणी आ रही हैं जिसमें मंदिर जाने का औचित्य पूछा जा रहा है. तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष तमिलसाई सुंदरराजन ने ट्वीट कर लिखा, 'सबरीमाला पूजा स्थल है जो किसी आस्तिक के लिए है न कि नास्तिकों या सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए जो वहां जाकर दशकों पुरानी परंपरा तोड़ने पर तुले हैं. क्या अन्य धार्मिक कट्टपंथियों के बारे में सुनकर आपको हैरानी नहीं हूई? एक्टिविजम या सेकुलरिजम की आड़ में हिंदुओं की भावनाओं को आहत करना निंदनीय है.'

केरल के देवस्वोम मंत्री ने इस विरोध प्रदर्शन के बारे में कहा, 'हर उम्र के लोगों को वहां जाने की इजाजत दी जाएगी लेकिन हम इसकी अनुमति नहीं देंगे कि कोई एक्टिविस्ट वहां जाए और अपनी जोर-जबर्दस्ती दिखाए.'

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दूसरी ओर सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारी ने पुलिस महानिदेशक से कहा है कि महिलाएं अगर मंदिर में प्रवेश करती हैं, तो वे मंदिर का कपाट बंद कर देंगे. ताजा जानकारी के मुताबिक, मंदिर में प्रवेश के लिए निकलीं दोनों महिलाएं वापस लौट रही हैं. केरल के आईजी ने कहा, हमने दोनों महिलाओं को वहां की हालत के बारे में जानकारी दी. दोनों ने वापस लौटने की तैयारी कर ली है. 

आईजी मनोक श्रीजीत ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद महिला एक्टिविस्ट ने 21 दिन का उपवास रखा था और अन्य श्रद्धालुओं की तरह उसने भी सबरीमाला मंदिर में पूजा-अर्चना की सभी परंपराओं का पालन किया. विरोध प्रदर्शन करने वाले लोग जब पुरुषों को आस्तिक या नास्तिक के नाम पर नहीं रोक रहे, तो महिलाओं को क्यों रोका जा रहा है? वह सरकारी बैंक की कर्मचारी है. हम अधिकारों की रक्षा में खड़े हैं. एक्टिविस्ट, मंत्री या तांत्री के लिए यहां अलग-अलग कानून नहीं है.

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