SC के फैसले के खिलाफ पीएम मोदी से गुहार लगाएंगे रामदास अठावले, कानून बनाने की मांग

आरपीआई नेता अठावले को पसंद नहीं आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला. पीएम मोदी से गुहार लगाकर संसद में कानून बनाने की करेंगे मांग.

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रामदास अठावले की फाइल फोटो (PTI) रामदास अठावले की फाइल फोटो (PTI)

रविकांत सिंह / कमलेश सुतार

  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 4:27 PM IST

एससी-एसटी के लिए पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्रीय राज्य मंत्री और आरपीआई नेता रामदास अठावले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और इस पर पुनर्विचार का आग्रह करेंगे.

अठावले ने कहा, हमारे संविधान में एससी-एसटी और ओबीसी के आरक्षण के लिए प्रावधान है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एससी-एसटी क्लास 1,2,3 और 4 की नौकरियों में नहीं दिखेंगे. अठावले ने कहा, मुझे लगता है कि कोर्ट का फैसला एससी-एसटी लोगों की राह में बाधा डालेगा. इसलिए फैसले पर दोबारा विचार करने की जरूरत है.

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अठावले ने कहा, इस संबंध में हमलोग पीएम मोदी से मिलेंगे और पदोन्नति में आरक्षण की मांग करेंगे. हम अपना कोटा चाहते हैं, हम कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं. केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा, पदोन्नति में आरक्षण होना चाहिए और यह हमारा संवैधानिक अधिकार है. अब विकल्प यही है कि केंद्र सरकार इस बाबत संसद में कानून पारित करे.

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण की देने की जरूरत से नहीं बताई और मामला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण देना जरूरी नहीं है. फैसला सुनाते हुए जस्टिस नरीमन ने कहा कि नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही था, इसलिए इस पर फिर से विचार करना जरूरी नहीं है. यानी इस मामले को दोबारा 7 जजों की पीठ के पास भेजना जरूरी नहीं है.

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फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये साफ है कि नागराज फैसले के मुताबिक डेटा चाहिए लेकिन राहत के तौर पर राज्य को वर्ग के पिछड़ेपन और सार्वजनिक रोजगार में उस वर्ग के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता दिखाने वाला मात्रात्मक डेटा एकत्र करना जरूरी नहीं है. इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों की दलील स्वीकार की हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंकड़े जारी करने के बाद राज्य सरकारें आरक्षण पर विचार कर सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकारें आरक्षण देने के लिए अपनी नीति बना सकती हैं.

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