जावड़ेकर बोले- SC में अर्जी देकर सरकार ने राम मंदिर निर्माण का कानूनी रास्ता अपनाया

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि बीजेपी का शुरू से कहना है कि राम मंदिर बने. पीएम मोदी ने भी इस बारे में इंटरव्यू में कहा है. आज का सरकार का फैसला भी कानूनी रास्ता है. हमें पूरा विश्वास है कि यह जमीन मुक्त हो जाएगी. ऐसा होने से रास्ता प्रशस्त हो जाएगा.

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केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 8:17 PM IST

राम मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर उसने अयोध्या में गैर विवादित जमीन रामजन्मभूमि न्यास को सौंपने की अपील की है. सरकार का कहना है कि गैरविवादित जमीन पर राम जन्मभूमि न्यास मंदिर का निर्माण करेगी.

रामजन्मभूमि न्यास को मिले जमीन का हक

सरकार के इस बड़े ऐलान के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों से मुखातिब होते हुए कहा कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक अर्जी में कहा है कि अयोध्या में हिंदू पक्षकारों को जो हिस्सा दिया गया है, वो रामजन्मभूमि न्यास को दे दिया जाए. जबकि 2.77 एकड़ भूमि का कुछ हिस्सा भारत सरकार को लौटा दिया जाए.

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जमीन का क्या करना है, यह न्यास का फैसला

जावड़ेकर ने कहा कि यह राम जन्म भूमि न्यास के उपर है कि वह लौटाई गई जमीन का क्या करती है, सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी. सरकार विवादित जमीन को नहीं छू रही है. उन्होंने कहा कि राम जन्म भूमि न्यास की 42 एकड़ जमीन है. कोर्ट ने 2003 में कहा था कि यह सरकार को तय करना है कि बाकी जमीन का क्या करना है. हमें पूरा विश्वास है कि कोर्ट जमीन देगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा था. सरकार ने स्टेटस को पर मोडिफिकेशन मांगा है. यह सरकार की बहुत बड़ी पहल है.

आज का फैसला कानूनी रास्ता है

जावड़ेकर ने कहा कि बीजेपी का शुरू से कहना है कि राम मंदिर बने. पीएम मोदी ने भी इस बारे में इंटरव्यू में कहा है. आज का सरकार का फैसला भी कानूनी रास्ता है. हमें पूरा विश्वास है कि यह जमीन मुक्त हो जाएगी. ऐसा होने से रास्ता प्रशस्त हो जाएगा.

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कांग्रेस सिर्फ रोड़े अटका रही

उन्होंने कांग्रेस पर भी हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस दो मुंह से बोलती रहती है. उसका एक ही प्रयास है कि रोड़े कैसे अटकाए जाएं. कपिल सिब्बल ने कहा था कि इसकी सुनवाई जुलाई में हो. यह देरी करने का ही प्रयास है.

1993 से है जमीन पर स्टे

अयोध्या में रामजन्मभूमि के आसपास करीब 70 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के पास है जिसमें से 67 एकड़ जमीन 1993 में नरसिंहा राव सरकार ने अधिग्रहित की थी. इसमें से 2.77 एकड़ की जमीन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में फैसला सुनाया था. इसमें से जिस भूमि पर विवाद है वो जमीन महज 0.313 एकड़ है. 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने इस जमीन पर स्टे लगाया था और किसी भी तरह का निर्माण या काम-काज करने से इनकार किया था. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इसमें 40 एकड़ ज़मीन राम जन्मभूमि न्यास की है. लिहाजा इसे राम जन्मभूमि न्यास को वापस कर दिया जाए. इस अर्जी के साथ ही मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर सुप्रीम कोर्ट उसकी बात मान लेती है तो राम जन्मभूमि न्यास राम मंदिर का निर्माण कर सकता है.

तीन हिस्सों में बांटी गई है जमीन

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30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांट दिया था. जिस जमीन पर रामलला विराजमान हैं उसे हिंदू महासभा को, दूसरे हिस्से को निर्मोही अखाड़े को और तीसरे हिस्से को सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया गया था. अब सरकार ने गैर विवादित जमीन हिंदू पक्षों को देने की अपील की है.

29 जनवरी को टल गई थी सुनवाई

गौरतलब है कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगातार टल रही सुनवाई से देरी हो रही थी. 29 जनवरी को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई थी, लेकिन एक जज के मौजूद न होने के चलते ये सुनवाई भी टल गई. चुनाव से पहले मोदी सरकार पर अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर साधु-संतों का भारी दबाव है. इस बीच उसने इस नई पहल से बड़ा दांव खेल दिया है.

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