पुलवामा के बदले के बाद भी जिंदा है राफेल विमान का जिन्न

Rafale deal case सुप्रीम कोर्ट ने पहले राफेल सौदे की प्रक्रिया पर संदेह करने की कोई वजह न होने का निर्णय दिया था, लेकिन अब इस संबंध में दायर पुनर्विचार याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया है.

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Rafale (File Photo) Rafale (File Photo)

जावेद अख़्तर

  • नई दिल्ली,
  • 27 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 7:52 AM IST

पुलवामा आतंकी हमले के बाद पूरे देश से उठी बदले की मांग के बीच मंगलवार को भारतीय वायुसेना ने अपना शौर्य दिखाया और पाकिस्तान की सीमा में घुसकर वहां मौजूद आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. वायुसेना के इस पराक्रम को जहां पूरा देश सलाम कर रहा है, वहीं लड़ाकू विमान राफेल भी इस बीच चर्चा के केंद्र में आ गया है. एयर स्ट्राइक के दिन ही सुप्रीम कोर्ट ने जहां राफेल पर दायर पुनर्विचार याचिका को स्वीकार कर लिया, तो दूसरी तरफ वायुसेना के जवानों को राफेल उपलब्ध कराने की मांग भी उठ रही है.

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मंगलवार (26 फरवरी) को जब हर तरफ पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की चर्चा थी तो दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में राफेल विमान सौदे से जुड़ी पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए भारत और फ्रांस के बीच हुए समझौते को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज करने के अपने पिछले फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई का निर्णय किया.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने राफेल सौदे पर पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई खुली अदालत में करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा व अरुण शौरी और मशहूर वकील प्रशांत भूषण की अपील पर चैंबर में विचार किया. पीठ ने कहा कि खुली अदालत में सुनवाई की गुजारिश स्वीकार की जाती है. यानी सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिलने का दावा कर रही बीजेपी और एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्ष के आरोपों पर एक बार फिर देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई होगी.

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सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला काफी महत्वपूर्ण इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाला यह सबसे बड़ा और अहम मुद्दा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस लड़ाकू विमान की डील में करप्शन के आरोप लगाते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को चोर तक कह दिया है. साथ ही इस डील के जरिए देश का पैसा लूटकर अनिल अंबानी को देने का आरोप पीएम मोदी पर लगा रहे हैं.

पुलवामा हमले के बाद गुम हो गया था राफेल मुद्दा

पुलवामा हमले से पहले तक राहुल की रैलियों और प्रेस कॉन्फ्रेंस के एजेंडे में यह मुद्दा सबसे अहम रहा है. अंग्रेजी अखबार के खुलासों से इस मसले को और बल मिल गया था, जिसके बाद राहुल समेत पूरा विपक्ष फ्रंट फुट पर खेलता दिखाई दे रहा था. 14 फरवरी को पुलवामा अटैक के बाद कांग्रेस ने यह मुद्दा छोड़ दिया और वह आतंकवाद के खिलाफ सरकार के साथ खड़ी हो गई.

अब जबकि पुलवामा अटैक का बदला लेते हुए वायुसेना ने फाइटर विमान मिराज से 48 साल बाद पाकिस्तान की सीमा में घुसकर उसका गुरूर तोड़ने का काम किया है तो रक्षा विशेषज्ञ कह रहे हैं कि वायुसेना की शक्ति बढ़ाने के लिए राफेल बेहद जरूरी है. आजतक पर चैट शो के दौरान रिटायर्ड कोमोडेर जी. जे. सिंह ने कहा कि हमारे पायलटों ने पुराने मिराज विमानों से यह कारनामा किया है. लेकिन दिल मांगे मोर की मांग राफेल देकर पूरी करनी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को अपनी तकरार दूर कर वायुसेना को राफेल उपलब्ध कराने चाहिए. यह भी कहा जा रहा है कि अगर भारत के पास राफेल होता तो पाकिस्तान सीमा के अंदर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती.

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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2018 को इस डील को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज करते हुए कह दिया था कि डील रद्द करने और विमान खरीद की प्रक्रिया पर संदेह करने की जरूरत नहीं है. राफेल की डिमांड और सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की परमिशन ने पुलवामा हमले का बदला पूरा होने के बावजूद एक बार फिर लड़ाकू विमान राफेल के मुद्दे को जिंदा कर दिया है.

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