राफेल सौदे पर रक्षा मंत्रालय का वार, घपले के आरोप बेबुनियाद

रक्षा मंत्रालय ने राफेल सौदे पर लगे आरोप को बेबुनियाद बताया और कहा कि इस सौदे में किसी निजी कंपनी के साथ करार नहीं किया गया है.

Advertisement
राफेल विमान (फाइल फोटो) राफेल विमान (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 6:59 PM IST

राफेल विमान सौदे को लेकर कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष की ओर हो रहे लगातार हमले के बाद अब पूरे मामले पर रक्षा मंत्रालय ने जवाब देते हुए सौदे को लेकर किसी भी तरह के घपले के आरोप को बेबुनियाद बताया.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस डील में पीएम नरेंद्र मोदी पर घपले तक का आरोप लगाया है. कांग्रेस का कहना है कि यह महंगा सौदा है. विपक्ष का कहना है कि अगर सरकार ने हजारों करोड़ रुपये बचा लिए हैं तो उसे आंकड़े सार्वजनिक करने में क्या दिक्कत है. यूपीए 126 विमानों के लिए 54,000 करोड़ रुपये दे रही थी, जबकि मोदी सरकार सिर्फ 36 विमानों के लिए 58,000 करोड़ दे रही है. साथ ही कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी सरकार के सौदे में 'मेक इन इंडिया' का कोई प्रावधान नहीं है.

Advertisement

सौदे को लेकर उठे पूरे विवाद पर रक्षा मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा कि किसी निजी कंपनी के साथ यह करार नहीं किया गया है. सौदे से जुड़ी हर बात बताना सुरक्षा के लिहाज से खतरनाक हो सकता है. क्षमता, कीमत और साज-सामान को लेकर बेहतर यह सौदा है.

उसने आगे कहा कि कांग्रेस पूरे सौदे को लेकर देश को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. सौदे को लेकर कई चीजों का खुलासा नहीं किया जा सकता. यूपीए सरकार ने भी इस सौदे को सार्वजनिक नहीं किया था.

मंत्रालय का कहना है कि इस तरह के बयान से गंभीर परिणाम हो सकते हैं और यह देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है. उसने आरोप लगाया कि यूपीए के 10 साल के शासनकाल में यह सौदा नहीं हो सका था.

Advertisement

रक्षा मंत्रालय ने सख्त तेवर में जवाब देते हुए कहा कि पिछली सरकार होती तो यह सौदा 10 साल में भी नहीं हो पाता. लेकिन वर्तमान सरकार ने महज एक साल में ही सौदा कर लिया.

रक्षा मंत्री ने इस संबंध में राज्यसभा में लिखित जवाब दे रखा है कि फ्रांस से राफेल फाइटर प्लेन के सौदे की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती, क्योंकि डील को लेकर हुई बातचीत राजकीय गोपनीयता है. हालांकि मंत्रालय ने जवाब में बताया कि राफेल करार पर कीमत के बारे में पहले ही संसद (20116 में) को जानकारी दी जा चुकी है.

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाते हुए दावा किया था कि प्रधानमंत्री ने अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान निर्धारित मूल्यों की अनदेखी कर खरीद की. मोदी के शासन काल में एक राफेल विमान 1570.8 करोड़ रूपये में खरीदा गया, जबकि यूपीए के दौरान इस एक विमान की कीमत पर 526.1 करोड़ रुपये में सहमति बनी थी.

दरअसल, राफेल फाइटर प्लेन खरीदने की प्रक्रिया कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने साल 2010 में शुरू की थी. लेकिन उसके कार्यकाल में डील फाइनल नहीं हो पाई. साल 2014 में केंद्र की सत्ता बदल गई और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी. 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस के रक्षामंत्री ज्यां ईव द्रियां और भारत के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने दिल्ली में राफेल सौदे पर साइन किए.

Advertisement

इस सौदे के तहत भारत को फ्रांस से 36 राफेल फाइटर विमान मिलने हैं. हालांकि, ये पूरा सौदा 126 विमानों का था. पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के एक पुराने बयान के मुताबिक, इस सौदे में ये तय हुआ था कि 18 जहाज 'ऑफ द शेल्फ' खरीदे जाएंगे और 108 जहाज भारत में बनेंगे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement