रेप और यौन अपराध में महिला को भी मिले सजा, SC में दायर याचिका

मौजूदा कानून के मुताबिक अगर पुरुष ऐसे किसी भी मामले में महिला के खिलाफ शिकायत करता है तो वह बिना किसी सजा के बच सकती है क्योंकि 158 साल पुराने इस कानून के मुताबिक ऐसे जुर्म सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट  सुप्रीम कोर्ट

हरीश वी. नैयर

  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 8:50 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में रेप, यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ और ताक-झांक के मामले में महिलाओं को भी सजा देने की मांग की गई है. गुरुवार को कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा गया है कि ऐसे प्रावधान किए जाएं जिससे महिलाओं को भी इन मामलों में सजा सुनाई जा सके क्योंकि कई बार पुरुष भी पीड़ित होते हैं.   

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याचिका में हाल के व्यभिचार कानून का हवाला देते हुए कहा गया है कि अगर इस कानून को लैंगिग आधार पर निष्पक्ष बनाना है तो ये प्रावधान जरूरी होंगे. मौजूदा कानून के मुताबिक अगर पुरुष ऐसे किसी भी मामले में महिला के खिलाफ शिकायत करता है तो वह बिना किसी सजा के बच सकती है क्योंकि 158 साल पुराने इस कानून के मुताबिक ऐसे जुर्म सिर्फ पुरुष ही कर सकता है.

याचिकाकर्ता ऋषि मल्होत्रा के ने कहा कि जुर्म का किसी लिंग से कोई-लेना देना नहीं है और कानून का भी नहीं होना चाहिए. उनके मुताबिक कानून अपराधी और जुर्म करने वाले किसी भी शख्स के बीच अंतर नहीं मानता, दोनों ही सजा के हकदार हैं. उन्होंने कहा कि जिस वजह से पुरुष जुर्म करते हैं उसी वजह से कोई महिला भी अपराध कर सकती है.

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याचिकाकर्ता मुताबिक हाल के सर्वे में सामने आया है कि 222 भारतीयों पुरुषों में से 16 फीसदी ऐसे हैं जिन्हें शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाता है. उन्होंने कहा कि महिलाओं के रेप पर तो बात होती है लेकिन पुरुषों के रेप पर कोई बात नहीं करता, पुरुषों के साथ रेप के कई ऐसे आंकड़े हैं, जो कि आम धारणा से भी ज्यादा हैं.

याचिका में कहा गया है कि रेप के मामले उम्र, स्थान और लिंग की सीमाओं को लांघ चुके हैं, इसीलिए अगर लैंगिग भेदभाव के बिना एक कानून की जरुरत है जो ऐसे मामलों में बराबरी के आधार पर सजा दे. 

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