पुणे के एक बुजुर्ग ने फौजी और उनके परिवारों के नाम की अपनी जायदाद

किसी के बिनती पर लोग डोनेशन देते हैं, ये तो आपने सुना होगा, किसी के दबाव में मजबूर होकर करोड़ों रुपये किसी संस्थान को मदद के लिए राशि दी गई, ये भी आपने सुना होगा, लेकिन ये खबर सुनकर आप हैरान रह जाएंगे कि पुणे में एक सीनियर सिटीजन ने अपनी सारी संपत्ति और जायदाद देश के नाम करते हुए फौजियों के राहत कोष में दे दी.

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जवानों के नाम जायदाद जवानों के नाम जायदाद

सबा नाज़ / पंकज खेळकर

  • पुणे,
  • 03 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:12 AM IST

किसी के बिनती पर लोग डोनेशन देते हैं, ये तो आपने सुना होगा, किसी के दबाव में मजबूर होकर करोड़ों रुपये किसी संस्थान को मदद के लिए राशि दी गई, ये भी आपने सुना होगा, लेकिन ये खबर सुनकर आप हैरान रह जाएंगे कि पुणे में एक सीनियर सिटीजन ने अपनी सारी संपत्ति और जायदाद देश के नाम करते हुए फौजियों के राहत कोष में दे दी. निस्वार्थ होकर करोड़ों रुपये की प्रॉपर्टी देश के नाम, फौजी फंड के नाम कर दी है. ये एक ऐसा काम जो देश के बड़े-बड़ो ने शायद नहीं किया होगा.

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सैनिकों की वजह से सुकून से रहता है देश पुणे के कोथरुड इलाके में रहने वाले 72 साल के प्रकाश केलकर ने उनकी सारी प्रॉपर्टी, बैंक डिपॉजिट अपनी 100 फीसदी जायजाद देश को अर्पण कर दी है. ये उन्होंने इसलिए किया क्योंकि उन्हें लगता है कि सिर्फ फौजियों की वजह से ही आज देशवासी सुरक्षित हैं. लोग चैन और आराम से जी और सो सकते है क्योंकि वहां सरहद पर फौजी भाई जाग रहे हैं.

प्रकाश केलकर ने कहा, 'क्योंकि उनके ऊपर ही तो देश की सुरक्षता है. वो वहां खड़े हैं, वो वहां पर काम कर रहे हैं इसलिए हम आज यहां पर हैं. हम जो कुछ भी मजा मस्ती कर रहे हैं, वो उनके बल पर. मेरे हिसाब से उनके लिए तो सरकार भी कम करती है. कारण है कि सरकार भी कितना करेंगी तो लोगो ने भी कुछ शेयर करना चाहिए. मेरी एक भावना है कि हर एक व्यक्ति ने जो कमाया है, उसका एक हिस्सा डिफेन्स के लिए देना चाहिए.'

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90 फीसदी सरकार को, 10 फीसदी एनजीओ को केलकर ने कहा कि आजतक उन्होंने जो भी कमाया है, वो समाज को वापस करना चाहते हैं क्योंकि समाज ने उन्हें बहुत कुछ दिया है. भारतीय जवानों के प्रति भी उनकी भावना अलग है और वो उनके लिए कुछ करना चाहते थे. केलकर ने कहा, 'मैंने अपनी और अपनी पत्नी की जॉइंट विल बनवाई, जिसमे 90 फीसदी सरकार को जाएगा और 10 फीसदी एनजीओ को मिलेगा. ये विल जनवरी 2016 में बनवाई थी.'

इस दरियादिल इंसान ने बताया कि वो पिछले पांच सालों से जरूरतमंदों की आर्थिक मदद करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन समाज की व्यवस्था इतनी लचर हो गई है कि किसी ने उन्हें सही रास्ता नहीं दिखाया. वो राज्य सरकार से गुहार लगाते रहे लेकिन किसी के कानों पर जू तक न रेंगी. हालांकि मोदी सरकार के आने के बाद बदलाव हुआ है. मनोहर पर्रिकर के रक्षा मंत्री बनने के बाद केलकर ने तय किया कि वो अपनी संपत्ति का 30 फीसदी प्रधानमंत्री राहत कोष में, 30 फीसदी मुख्यमंत्री राहत कोष में, 15 फीसदी आर्म्स फोर्सेस के लिए और 15 फीसदी नेशनल डिफेन्स फंड के लिए जबकि 10 फीसदी एनजीओ के लिए दान देंगे.

प्रकाश केलकर का ईमेल मिलने के बाद मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस हैरान रह गई. मनोहर पर्रिकर के पर्सनल असिस्टेंट ने केलकर से कहा कि पहली बार ऐसा सुन रहे हैं कि देश का कोई आदमी अपनी सारी पूंजी देश के लिए लगा रहा है. लेफ्टिनेंट जेनरल डी बी शेकटकर ने कहा कि केलकर की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है. देश को ऐसे नागरिकों की जरूरत है जो खुद के परिवार के आगे फौजियों के परिवार के बारे में सोचते हैं.

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लेफ्टनेंट जेनरल (सेवानिवृत) डी बी शेकटकर ने कहा, 'ये महत्वपूर्ण बात है जब आप किसी विशेष अपेक्षा के बिना कोई काम करते है. बहुत लोगों की अपेक्षा होती है कि मैं इतने करोड़ रुपये दूंगा तो मेरा नाम यहां होना चाहिए, तभी मैं पैसा दूंगा ये अपेक्षा होती है. लेकिन ये महान व्यक्ति है जिन्होंने अपने जीवन की पूरी संपत्ति, पूरी आय राष्ट्र की सेना के नाम कर दी.

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