राष्ट्रपति का चुनाव करीब है. इस बार ये चुनाव की मायनों में खास रहेगा. सत्ता पक्ष और विपक्ष भले ही अब तक उम्मीदवार तय नहीं कर पाया हो, लेकिन चुनाव आयोग ने कई चीजें तय कर दी हैं. खास बात ये है कि इस बार वोटरों के लिए अलग-अलग रंग के बैलेट होंगे.
राष्ट्रपति चुनाव की मतदान प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है. लिहाजा चुनाव में मतदान EVM के बजाय बैलेट पेपर से होंगे.
नए नियम के मुताबिक सांसदों और विधायकों के बैलेट पेपर का रंग अलग-अलग होगा. सांसद जिस बैलेट पेपर से वोटिंग करेंगे, उसका रंग हरा होगा. जबकि विधायक गुलाबी बैलेट पेपर से अपना वोट करेंगे. चुनाव आयोग एक जुलाई से इन बैलेट पेपर्स की छपाई शुरू कराएगा.
चुनाव आयोग के उच्च अधिकारियों के मुताबिक. गैर हिंदी भाषी राज्यों में मतपत्र स्थानीय भाषा की लिपि में भी छपेगा. मसलन असम, त्रिपुरा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, गोवा, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, सिक्किम और तमिलनाडु के सांसदों-विधायकों के बैलेट पेपर स्थानीय भाषा में भी होंगे.
जबकि राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, मिज़ोरम, मध्यप्रदेश, नगालैंड, अरुणाचल प्रदेश, यूपी, उत्तराखंड, झारखंड और दिल्ली के सांसदों और विधायकों के लिए हिंदी और इंग्लिश में बैलेट पेपर छापे जाएंगे.
पहली बार स्पेशल इंक का इस्तेमाल
राष्ट्रपति चुनाव में पहली बार स्पेशल Ink वाले खास पेन का इस्तेमाल होगा. देश के पंद्रहवें राष्ट्रपति के चुनाव में 4896 मतदाताओं यानी निर्वाचक मंडल के सदस्यों के मतों की कुल कीमत 10 लाख 98 हज़ार 903 है. 4896 मतदाताओं में लोकसभा के 543 और राज्य सभा के 233 निर्वाचित सदस्य और 4120 निर्वाचित विधायक हैं. मतदान 17 जुलाई को होगा. सभी विधायक विधानसभा भवन में और सांसद संसद परिसर में मतदान करेंगे. हालांकि, सांसद दिल्ली में न होने पर अपने राज्य की विधानसभाओं में वोट डाल सकेंगे.
संजय शर्मा