चंद्रयान-2 मिशन का सबसे निर्णायक पल, जब चांद पर उतरेंगे विक्रम-प्रज्ञान

chandrayaan-2 की लॉन्चिंग होने के बाद यह मिशन अगले 23 दिनों तक धरती के इर्द-गिर्द चक्कर काटता रहेगा. लॉन्चिंग के बाद धरती की अंडाकार कक्षा में स्थापित होने के बाद chandrayaan-2 को बार-बार छोटे-छोटे रॉकेट लॉन्च कर कक्षा को बढ़ाया जाएगा.

Advertisement
Chandrayaan 2 launching Chandrayaan 2 launching

सिद्धार्थ तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST

  • चंद्रयान-2 लॉन्च होने के बाद अगले 23 दिनों तक धरती के इर्द-गिर्द चक्कर लगाएगा
  • 23वें दिन के बाद चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में ट्रांसफर किया जाएगा
  • लॉन्चिंग के 43वें दिन ऑर्बिटर से लैंडर को अलग किया जाएगा
  • लॉन्चिंग के 48वें दिन बाद लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करेगा.

श्रीहरिकोटा से आज (सोमवार) chandrayaan-2 की लॉन्चिंग होने के बाद यह मिशन अगले 23 दिनों तक धरती के इर्द-गिर्द चक्कर काटता रहेगा. इस दौरान इसरो के वैज्ञानिक इसकी कक्षा को बढ़ाते जाएंगे. chandrayaan-2 को सबसे पहले एक अंडाकार कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जिसकी धरती से सबसे नजदीकी दूरी 170 किलोमीटर होगी और सबसे दूर की दूरी 39120 किलोमीटर होगी.

Advertisement

लॉन्चिंग के बाद धरती की अंडाकार कक्षा में स्थापित होने के बाद chandrayaan-2 को बार-बार छोटे-छोटे रॉकेट लॉन्च कर कक्षा को बढ़ाया जाएगा. यह प्रक्रिया 23 दिनों तक चलेगी.

लॉन्चिंग के 23वें दिन के बाद चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में ट्रांसफर किया जाएगा. धरती से चंद्रमा की कक्षा में ट्रांसफर करने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जाएगी उसमें 7 दिन लगेंगे यानी तीस दिन के बाद चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में  स्थापित कर दिया जाएगा. उसके बाद चंद्रयान 13 दिनों तक चंद्रमा के चारों तरफ घूमता रहेगा.

लॉन्चिंग के 43वें दिन ऑर्बिटर से लैंडर को अलग किया जाएगा और 44वें दिन लैंडर की एक बार फिर से पैमाइश की जाएगी कि यह सही पोजीशन में है या नहीं. इसके बाद लॉन्चिंग के 48वें दिन के बाद यानी 8 सितंबर को लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.

Advertisement

विक्रम लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद इसमें से प्रज्ञान रोवर को बाहर निकाला जाएगा. प्रज्ञान रोवर लैंडिंग की जगह से 500 मीटर के दायरे में घूमेगा. प्रज्ञान रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अगले 12 दिनों तक यानी 20 सितंबर तक तमाम वैज्ञानिक प्रयोग करेगा.

इन वैज्ञानिक प्रयोगों में सबसे खास है चंद्रमा की सतह पर मौजूद मिट्टी को लेजर बीम के जरिए जलाना और उससे मिले स्पेक्ट्रम के जरिए यह पता लगाना कि चंद्रमा पर कौन-कौन से तत्व मौजूद हैं, साथ ही कितनी-कितनी मात्रा में मौजूद है.

इसके बाद एक दूसरा एक्सपेरिमेंट जिसके लिए प्रज्ञान रोवर को तैयार किया गया है वह चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधियों का पता लगाना है. धरती की तरह चंद्रमा के अंदर भूकंप की हलचल होती है या नहीं इसका पता प्रज्ञान रोवर लगाएगा.

प्रज्ञान रोवर से मिल रही जानकारियों को रेडियो फ्रिक्वेंसी के जरिए विक्रम लैंडर को भेजा जाएगा. विक्रम लैंडर इस जानकारी को चंद्रमा के चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर को भेजेगा. ऑर्बिटर इस जानकारी को भारत में मौजूद बेंगलुरु में डीप स्पेस सेंटर को भेजेगा. जहां पर इसरो के वैज्ञानिक चंद्रमा की जानकारी का अध्ययन करेंगे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement