लद्दाख में चीनी सेना के सामने मोर्चे पर डटे भारतीय जवान, पढ़ें Ground Zero से खास रिपोर्ट

जहां सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है, वहां 12 हजार फीट की ऊंचाई पर आर्मी के जवान रिहर्सल कर रहे थे. पेंगॉन्ग झील के पास सेना और आईटीबीपी के जवान तिरंगे को सलामी देते भी दिखे.

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पेंगॉन्ग लेक पहुंची आजतक की टीम पेंगॉन्ग लेक पहुंची आजतक की टीम

कमलजीत संधू

  • पेंगॉन्ग लेक, लद्दाख ,
  • 24 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 9:25 AM IST

भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर कई हफ्तों से गतिरोध चल रहा है. इसी तनाव के बीच 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर चीनी सेना लद्दाख की पेंगॉन्ग झील पर भारतीय जवानों से भिड़ गई. आजतक ने सबसे पहले दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प का वीडियो दिखाया. अब आजतक की टीम उस पेंगॉन्ग झील के पास उस जगह पहुंची जहां चीनी सेना और भारतीय जवानों के बीच टकराव हुआ था.

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इस दौरान आजतक की टीम बॉर्डर पर तैनात सेना और आईटीबीपी के जवानों से भी मिली. चीनी सेना ने भले ही भारतीय जवानों पर पत्थर फेंके हों, मगर उनके हौंसले बुलंद हैं. जहां सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है, वहां 12 हजार फीट की ऊंचाई पर आर्मी के जवान रिहर्सल कर रहे थे. पेंगॉन्ग झील के पास सेना और आईटीबीपी के जवान तिरंगे को सलामी देते भी दिखे.

बॉर्डर पर तनाव बढ़ा

आजतक की टीम ने पेंगॉन्ग तक पहुंचने के लिए लंबा सफर किया. इस दौरान चीनी सीमा से सटे इलाकों में हर तरफ जवानों की टुकड़ियां तैनात नजर आईं. कई जगह आर्मी की गाड़ियां दिखीं, जिससे अंदाज़ा लग रहा था कि चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद बॉर्डर पर तनाव बढ़ गया है.

पेंगॉन्ग झील को लेकर विवाद

लद्दाख में भारत की चीन के साथ 700 किलोमीटर से भी लंबी सीमा है, जिसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल कहा जाता है. ये पूरा इलाका दुर्गम पहाड़ियों से घिरा है. जहां सर्दियों के मौसम में तापमान माइनस 40 डिग्री तक नीचे चला जाता है.

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वहीं पेंगॉन्ग लेक 14 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई पर है. इसकी लंबाई 134 किलोमीटर है, जो भारत से चीन तक जाती है. पेगॉन्ग लेक का 60 फीसदी हिस्सा चीन की सीमा में पड़ता है. भारत-चीन के बीच 1962 की जंग में पेंगॉन्ग लेक का इलाका भी जंग का मैदान बना था.

नहीं डिगा सैलानियों का हौसला

सेना के जवानों की तरह पेंगॉन्ग लेक आने वाले सैलानियों का हौसला भी बिल्कुल नहीं डिगा. आजतक से बात करते हुए कई सैलानियों ने बताया कि वो बेखौफ हैं. यानी चीनी सेना की हरकत के बावजूद भी पेंगॉन्ग लेक पर घूमने आने वाले लोगों की संख्या में कोई गिरावट नहीं आई है.

 

 

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