ओडिशा: जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान हादसा, बिजली के तार की चपेट में आने से 2 की मौत

जगन्नाथ रथ उत्सव 10 दिन तक मनाया जाता है. भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है.

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ओडिशा रथयात्रा के दौरान हुआ हादसा (सांकेतिक तस्वीर- रॉयटर्स) ओडिशा रथयात्रा के दौरान हुआ हादसा (सांकेतिक तस्वीर- रॉयटर्स)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 8:15 PM IST

ओडिशा के जाजपुर जिले में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया है. बिजली के तार के चपेट में आने से 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 7 घायल हो गए हैं. ये हादसा जाजपुर के कालियापानी टिस्को माइंस क्षेत्र में हुआ है.

रथयात्रा में लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं. 155 पुलिस बल के प्लाटून, दो अतिरिक्त डीजी, पांच आईजी स्तर के अधिकारी, अलग अलग रैंक के 800 अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था में लगे हैं. सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी डीजीपी संजीव पांडा के जिम्मे है. होमगार्ड, रैपिड एक्शन फोर्स, एनडीआरएफ, बॉम्ब डिस्पोजल स्कावड, स्निफर डॉग की यूनिट के साथ साथ एंटी टेररिस्ट स्कावड भी सुरक्षा में लगे हैं.

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घंटा, झाल, शंख और 'हरि बोल' के उच्चारण के बीच देवताओं को गुंडिचा मंदिर से बाहर लाया जाएगा और उन्हें 'पहंडी' जुलूस के जरिए रथ पर लाया जाएगा. पुरी के राजा गजपति दिब्यसिंह देब 'छेरा पहनरा' (सोने के झाड़ू से रथों की सफाई) करेंगे. इसके बाद श्रद्धालु रथों को खींचना शुरू करेंगे.

बाहुड़ा यात्रा भगवान जगन्नाथ और भाई-बहनों की गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर की वापसी का प्रतीक है. मान्यता है कि देवता रथयात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर जाते हैं. यह देवताओं के 12 सदी के मंदिर से देवी गुंडिचा मंदिर की नौ दिनों की यात्रा होती है. देवी गुंडिचा उनकी मौसी हैं.

बता दें कि देश के कई शहरों में गुरुवार को भगवान की जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई है. जगन्नाथ रथ उत्सव 10 दिन तक मनाया जाता है. भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है और दशमी तिथि को समाप्त होती है.

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