अब भारतीय टमाटरों को तरसेगा पाकिस्तान

पाकिस्तान को अब समझ आ रहा होगा कि आतंकवाद पर भारत की ओर से कड़ा रुख अपनाने का क्या मतलब है. सिर्फ भारत सरकार का ही रवैया सख्त नहीं है बल्कि देश के किसान भी पाकिस्तान को किसी तरह की रियायत देने के पक्ष में नहीं है.

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टमाटर टमाटर

सबा नाज़ / खुशदीप सहगल

  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:40 AM IST

पाकिस्तान को अब समझ आ रहा होगा कि आतंकवाद पर भारत की ओर से कड़ा रुख अपनाने का क्या मतलब है. सिर्फ भारत सरकार का ही रवैया सख्त नहीं है बल्कि देश के किसान भी पाकिस्तान को किसी तरह की रियायत देने के पक्ष में नहीं है.

मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले झाबुआ में पैदा होने वाला टमाटर अपने स्वाद के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं जाना जाता. यहां से वाघा बार्डर के रास्ते भेजे जाने वाले टमाटर को पाकिस्तान में भी बड़े चाव से खाया जाता है. लेकिन अब पाकिस्तान के लोगों को झाबुआ के टमाटर खाने को नहीं मिलेंगे.

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झाबुआ में टमाटर उगाने वाले किसानों ने फैसला किया है कि वो अपने टमाटर अब पाकिस्तान नहीं भेजेंगे. ये हकीकत है कि इन किसानों ने बीते कुछ साल में पाकिस्तान टमाटर भेज कर भारी मुनाफा कमाया है. लेकिन अब ये किसान नुकसान उठाने को भी तैयार हैं. उनका कहना है कि टमाटर चाहें सड़ जाएं लेकिन पाकिस्तान नहीं भेजेंगे. इन किसानों ने मोदी सरकार से अपील की है कि उनके टमाटरों के लिए खाड़ी देशों या अन्य जगह नए बाजार तलाशे जाएं.

झाबुआ में टमाटर के उत्पादन में पढ़े-लिखे किसान भी शामिल हैं. ऐसे ही एक किसान योगेश सेपटा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम ट्वीट में कहा है कि पाकिस्तान को सबक मिले ओर उससे "मोस्ट फेवरेट नेशन" का दर्जा छीनकर आतंकी राष्ट्र घोषित किया जाए. इसी दर्जे की वजह से पाकिस्तान को भारत से आयात में कई तरह की छूट मिली हुई हैं.

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उरी आर्मी बेस पर आतंकी हमले के बाद से वाघा बार्डर के रास्ते पाकिस्तान टमाटर भेजे जाना बंद हो गया है. बता दें कि हमले से पहले औसतन हर दिन 15 से 20 ट्रक टमाटर पाकिस्तान भेजे जाते थे. झाबुआ के किसानों का कहना है कि आखिर पाकिस्तान से आए आतंकवादी हमारे जवानों को निशाना बनाए तो फिर हम कैसे चुप रह सकते हैं?

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