ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को बढ़ावा दे रही सरकार, लेकिन संसद की कैंटीन में नहीं होती कार्ड से पेमेंट

जब बात हो नोटबंदी की और सरकार के उस कदम की जिसके बाद डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है. काले धन के खिलाफ मुहिम करार देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500-1000 के नोटों पर पाबंदी की घोषणा तो कर दी. इसके बाद कैशलैस इंडिया के सामने आ रही परेशानी की पोल संसद और बीजेपी मुख्यालय की कैंटीन में ही खुल गई जहां ना तो कार्ड से पेमेंट होती है ना ही ई-वॉलेट की सुविधा है. यहां सिर्फ नकद चलता है.

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कैश कैश

सबा नाज़ / सिद्धार्थ राय

  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 12:40 PM IST

जब बात हो नोटबंदी की और सरकार के उस कदम की जिसके बाद डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया जा रहा है. काले धन के खिलाफ मुहिम करार देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500- 1000 के नोटों पर पाबंदी की घोषणा तो कर दी. इसके बाद कैशलैस इंडिया के सामने आ रही परेशानी की पोल संसद और बीजेपी मुख्यालय की कैंटीन में ही खुल गई जहां ना तो कार्ड से पेमेंट होती है ना ही ई-वॉलेट की सुविधा है. यहां सिर्फ नकद चलता है.

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मेल टुडे की टीम ने ऐसी ही कई कैंटीनों का जायजा लिया. इसकी शुरुआत बीजेपी मुख्यालय 11 अशोक रोड से की गई फिर मुख्य मंत्रालयों के लोगों को खाना देने वाली इन जगहों का भी जायजा लिया गया आखिरकार टीम ने संसद की कैंटीन में भी कार्ड से पेमेंट देने के विकल्प की पूछताछ की और यहां भी सिर्फ यही देखने को मिला कि 'केवल नकद ही चलेगा...'

कहा जा सकता है कि प्लास्टिक मनी और पेटीएम का हवाला देकर नोटबंदी के असर से लड़ने की सलाह देने वाली सरकार के घर में ही अब तक सिर्फ नकद ही चल रहा है. बड़ा सवाल ये है कि कैश के क्रंच में इन सरकारी कैंटीनों में खाना खाने में दिक्कत तो होती ही होगी. हो सकता है सरकार ने अपनी ही कैंटीनों को डिजिटल इसलिए ना बनाया हो कि वह भी आम जनता को नोटबंदी से होने वाली परेशानी का दर्द महसूस कर सकें.

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