कोहिनूर वापसी की कोशिश को कोई झटका नहीं

ब्रिटिश सांसद आलोक शर्मा ने अपनी भारत यात्रा के दौरान भले ही कोहिनूर लौटाने की भारत सरकार की मुहिम को खारिज कर दिया हो लेकिन भारत सरकार इस बारे में अपनी कोशिश जारी रखेगी. इस बारे में कूटनीतिक स्तर पर भी और दोनों देशों की सरकारों के स्तर पर भी बातचीत जारी रहेगी.

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कोहिनूर कोहिनूर

सबा नाज़ / हिमांशु मिश्रा / संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 27 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST

ब्रिटिश सांसद आलोक शर्मा ने अपनी भारत यात्रा के दौरान भले ही कोहिनूर लौटाने की भारत सरकार की मुहिम को खारिज कर दिया हो लेकिन भारत सरकार इस बारे में अपनी कोशिश जारी रखेगी. इस बारे में कूटनीतिक स्तर पर भी और दोनों देशों की सरकारों के स्तर पर भी बातचीत जारी रहेगी.

सरकार के सूत्रों के मुताबिक ये कहना गलत है कि संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के आधार पर कोहिनूर वापस मांगने का भारत के पास कोई कानूनी आधार नहीं है. जबकि भारत के पास कानूनी आधार और दलीलें भी हैं लेकिन शायद उसका इस्तेमाल फिलहाल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

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शिखर वार्ता का भी विकल्प
संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ ही इस मुद्दे से जुड़े कई अन्य मंत्रालयों जैसे विदेश और संस्कृति मंत्रालय से आगे चर्चा होनी है. अभी तो इस मामले को प्रभावशाली तरीके से आगे तक ले जाने के तरीकों पर चर्चा हो रही है. इनमें अव्वल तो कूटनीतिक स्तर पर बात आगे बढ़ाई जाएगी. इसके अलावा दोनों देशों की सरकारों के बीच शिखर वार्ता भी एक विकल्प है.

जांच होगी तो सच्चाई सामने आएगी
जहां तक ब्रिटेन की ये दलील है कि भारत के पास कोहिनूर वापस मांगने का कोई कानूनी आधार नहीं है. इस पर भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि कोहिनूर वापस लाने की दमदार दलीलें और मजबूत कानूनी आधार भी हमारे पास हैं. लेकिन उसका इस्तेमाल अन्य विकल्प के तौर पर समय आने पर किया जाएगा. संयुक्त राष्ट्र के जिस दस्तावेज की बात की जा रही है उसमें कई कानूनी पेंच हैं. समकालीन पंजाब के 13 साल के राजा दलीप सिंह से किन परिस्थितियों में कैसे दबाव डालकर समकालीन ब्रिटिश हुकूमत ने कोहिनूर हीरा सरंडर कराया इसका खुलासा अब तक किसी ने नहीं किया है. इसकी भी पड़ताल होगी तो सच्चाई सामने आएगी. ऐसे ही कई कानूनी और ऐतिहासिक नुक्ते हैं जिन पर अंतरराष्ट्रीय अदालत में जिरह होगी तो भारत अपना पक्ष मजबूती से रखेगा. लेकिन भारत चाहता है कि इसकी नौबत ही नहीं आये.

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अन्य देशों से भी अपनी धरोहर वापस लाएगी भारत सरकार
इस पूरे प्रकरण में भारत सरकार को उम्मीद है कि ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री थेरेसा मे की सरकार के साथ कोहिनूर के मुद्दे पर भी सकारात्मक बातचीत होगी. संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों ने ये भी संकेत दिए हैं कि सुप्रीम कोर्ट में कोहिनूर की वापसी को लेकर विचाराधीन जनहित याचिका की अगली सुनवाई के दौरान भारत सरकार नया हलफनामा देकर अपनी मंशा साफ कर देगी. सरकार उसमें ये बताएगी कि कोहिनूर को ब्रिटेन से वापस लाने की कोशिशें किस किस स्तर पर जारी हैं. ये अलग बात है कि कुछ महीने पहले केंद्र सकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कोहिनूर वापसी की मुहिम से हाथ खड़े कर दिये थे. लेकिन अब पूरी शिद्दत से सरकार इसे ही नहीं बल्कि कई देशों से अपनी ऐतिहासिक धरोहरों को वापस भारत लाने की मुहिम में जुटी है. कई जगह कामयाबी हासिल भी हुई है. लेकिन फिलहाल तो बड़ी चुनौती कोहिनूर की वापसी ही है.

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