Nirbhaya Case: सुप्रीम कोर्ट में निर्भया का दोषी बोला- मैं किसान का बेटा, कांग्रेस का कार्यकर्ता

निर्भया के चार दोषियों की फांसी की तारीख लगातार टलती जा रही है. केंद्र सरकार की याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान दोषी विनय शर्मा ने फांसी की तारीख को आगे बढ़ाने की अपील की.

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सुप्रीम कोर्ट में हुई निर्भया केस की सुनवाई (फोटो: PTI) सुप्रीम कोर्ट में हुई निर्भया केस की सुनवाई (फोटो: PTI)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

  • सुप्रीम कोर्ट में निर्भया केस की सुनवाई
  • केंद्र की याचिका पर अदालत में हुई सुनवाई

निर्भया रेप कांड के दोषियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को भी सुनवाई जारी रही. सुनवाई के दौरान निर्भया के दोषी विनय शर्मा ने अदालत में फांसी की तारीख को टालने की अपील की. इस दौरान विनय शर्मा की ओर से उसके पिछले रिकॉर्ड की जानकारी दी गई. साथ ही यह बताया गया कि वह कानून का छात्र रहा है, आदतन अपराधी नहीं है और कांग्रेस का कार्यकर्ता भी रहा है.

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दरअसल, अदालत में विनय शर्मा की ओर से वकील एपी सिंह दलीलें रख रहे थे. उन्होंने दावा किया कि उनके क्लाइंट को जेल में लगातार मानसिक प्रताड़ना दी जा रही थी, इसके अलावा उसे कई तरह की दवाईयां भी दी गईं. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में पहली बार चार युवाओं को फांसी दी जा रही है, जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है.

इसी दौरान जब अदालत ने वकील को फटकार लगाई और कहा कि वह कानूनी बिंदुओं पर ही बात करें. तब एपी सिंह ने विनय शर्मा की ओर से अदालत में कहा, ‘विनय शर्मा का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, वह आदतन अपराधी नहीं है. एक खेती करने वाले परिवार से है, कांग्रेस का कार्यकर्ता रहा है.’ जिसपर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि आप ये सब बताने की बजाय सिर्फ अपनी कानूनी दलीलें रखें.

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सरकार ने खारिज किए दोषी के आरोप

विनय शर्मा की ओर से जब एपी सिंह ने मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसे खारिज किया. तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के फैसले, मेडिकल रिपोर्ट्स, परिवार की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को राष्ट्रपति के सामने रखा गया था. उसी के बाद दया याचिका खारिज हुई है. ऐसे में ये तर्क नहीं दिया जा सकता है.

बता दें कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई पर कोई फैसला नहीं सुनाया. अब शुक्रवार को दोपहर 2 बजे अदालत फैसला सुनाएगा. बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी कि चारों दोषियों को एक साथ लटकाए जाने के चक्कर में फांसी में देरी नहीं होनी चाहिए. केंद्र सरकार ने इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने कहा था कि दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं दी जा सकती है.

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दरअसल, दोषियों के द्वारा अलग-अलग समय पर राष्ट्रपति या कोर्ट के पास याचिका दायर की जा रही थी. जिसकी वजह से बार-बार फांसी की तारीख आगे बढ़ती रही. इसी के बाद केंद्र सरकार ने अदालत में दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की अपील की थी.

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