डायबिटीज की दवा इजाद करने पर पीएम मोदी ने थपथपाई पीठ, अवॉर्ड मिलने पर वैज्ञानिक गदगद

बीजीआर-34 को CSIR और राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान संस्थान (NBRI) तथा सुगंधित पौंध संस्थान ने संयुक्त रूप से विकसित किया है. 6 जड़ी-बूटियों से यह औषधि बनी है जिसमें प्रमुख है मेथी.

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अब तक दवा का प्रयोग सफल अब तक दवा का प्रयोग सफल

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 2:12 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार समारोह में CSIR यानी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों की सालों के अनुसंधान और मेहनत से तैयार मधुमेह की दवा का जिक्र किया. वैज्ञानिक इस बात से ही गदगद दिखे कि उनकी मेहनत को पहचान, पुरस्कार और सम्मान मिलना गौरव की बात है और प्रधानमंत्री मोदीजी के भाषण में इस इजाद की चर्चा होना बेहद खुशी की बात है.

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CSIR के लखनऊ संस्थान में करीब 9 सालों के अनुसंधान और ट्रायल का नतीजा मधुमेह की दवा बीजीआर34 की खोज करने वाले वैज्ञानिकों एके एस रावत, डॉ सीएच वी राव और डॉ. संजीव कुमार को पुरस्कार मिला. रावत ने 'आज तक' से कहा कि यह दवा बेहद सफल साबित हुई है. अभी इस पर आगे और शोध किया जा रहा है ताकि मधुमेह के विभिन्न अनछुए पहलुओं पर और कारगर शिकंजा कसा जा सके.

बीजीआर-34 को CSIR और राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान संस्थान (NBRI) तथा सुगंधित पौंध संस्थान ने संयुक्त रूप से विकसित किया है. 6 जड़ी-बूटियों से यह औषधि बनी है जिसमें प्रमुख है मेथी. मेथी की तासीर मधुमेह रोधी होती है जिसके इसी गुण का इस्तेमाल दवा में किया गया है. दूसरा दारुहरिद्रा यानी दारूहल्दी है जो पैनक्रियाज की कार्यप्रणाली में सुधार कर उसे प्राकृतिक स्वरूप में लौटा देती है. बता दें कि पैनक्रियाज से ही इंशुलिन निकलता है जो शुगर को काबू में लाता है. एक औषधि विजयसार है जो रक्त में शर्करा के स्तर को काबू करती है. गिलोय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है, जबकि मजिष्ठा में एंटी आक्सीडेंट गुण होते हैं. छठी औषध गुड़माड़ है जो शुगर को नियंत्रित करने में भूमिका निभाता है.

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लखनऊ स्थित सीएसआईआर की दो प्रयोगशालाओं एनबीआरआई और सीमैप के वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया गया. CSIR और सहयोगी संस्थानों के वैज्ञानिकों की खोज इस दवा का व्यवसायिक उत्पादन कर बाजार में एमिल फॉर्मास्युटिकल लाई है. एमिल फॉर्मा के चेयरमैन के के शर्मा ने बताया कि दवा बीजीआर 34 इतनी कारगर है कि साल भर में इसने हलचल मचा दी है. मार्केटिंग के बगैर इसका काम बोल रहा है.

बीजीआर को सीएसआईआर ने जैव विज्ञान की श्रेणी में वर्ष 2016 का बेहतरीन तकनीक का पुरस्कार दिया है. पुरस्कार स्वरूप दो लाख रुपये की नकद राशि और वैज्ञानिकों को प्रशस्ति पत्र दिए जाते हैं. एनबीआरआई केप्रधान वैज्ञानिक रावत ने कहा कि सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. गिरीश साहनी ने हाल में ऐलान किया कि इस दवा पर और शोध के लिए एक परियोजना मंजूर की गई है. इसके तहत बीएचयू में इस दवा के मधुमेह रोगियों कर क्लिनिकल ट्रायल किए जाएंगे. दवा को नए स्वरूप में और प्रभावी बनाया जाएगा.

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