मुंबई में एलिफिस्टन रेलवे स्टेशन के फुटओवर ब्रिज पर शुक्रवार को भगदड़ मचने से 22 लोगों की मौत हो गई है. इस हादसे को लेकर आम मुंबईकरों का यही कहना है कि यह हादसा को होना ही था. इंडिया टुडे को कुछ ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिससे पता चलता है कि रेल मंत्रालय को पहले ही इस बारे में सूचित किया गया था कि यह पुल भीड़-भाड़ के समय लोगों का बोझ सहने लायक नहीं रहा.
सांसदों, लोगों ने दी थी चेतावनी
इस दर्दनाक हादसे से दो साल पहले 2015 में ही शिवसेना के दो सांसदों अरविंद सावंत और राहुल शेहवाले ने अलग-अलग चिट्ठी लिखकर रेल मंत्रालय को इस बारे में अवगत कराया था. वहीं स्थानीय लोग भी कई बार इस संकरे पुल पर भगदड़ की आशंका जताते रहे हैं.
सावंत की चिट्ठी का जवाब देते हुए तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने भी नए पुल की जरूरत को स्वीकार किया था. सुरेश प्रभु ने सावंत को भेजे जवाब में कहा था, वैश्विक मंदी के दुष्प्रभावों की वजह से भारतीय रेल को भी अपने सबसे मुश्किल वक्त से गुजरना पड़ रहा है. लेकिन इन मुश्किल हालात के बावजूद अपका प्रस्ताव पर सकारात्मक रूप से विचार कर रहे हैं.
2015 में पारित हुआ था पुल का प्रस्ताव
चश्मदीदों के मुताबिक, उस वक्त तेज बारिश शुरू हुई थी और लोग भीगने से बचने के लिए फुटओवर ब्रिज पर चढ़ गए. वहीं स्टेशन के अंदर से आ रहे थे लोग मुहाने पर ही रुक रह गए. इस तरह 106 साल पुराने ब्रिज पर भीड़ बढ़ती जा रही थी. बारिश के कारण ब्रिज पर फिसलन बढ़ी और तभी एक व्यक्ति का पैर फिसला और वह गिर गया. व्यक्ति के गिरते ही धक्का-मुक्की का सिलसिला शुरू हो गया हो.
इसी दौरान किसी ने अफवाह फैला दी कि रेलिंग टूट गई. वहीं शॉर्ट सर्किट होने की भी अफवाह फैलाई गई और फिर लोग किसी भी तरह से वहां से भागने की फिराक में जुट गए. इस वजह से मची भगदड़ में 22 लोगों की जान चली गई.
साद बिन उमर