अनशन तोड़ने के बाद भावुक हुईं इरोम शर्मिला, बोलीं- मैं मणिपुर की सीएम बनना चाहती हूं

मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) हटाने की मांग लेकर लगभग 16 सालों तक संघर्ष करने वाली इरोम शर्मिला ने मंगलवार को अपना अनशन तोड़ लिया. इसके बाद रात करीब साढ़े दस बजे खबर मिली कि शर्मिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया.

Advertisement
इरोम शर्मिला इरोम शर्मिला

रोहित गुप्ता

  • इम्फाल ,
  • 09 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 1:54 AM IST

मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफ्स्पा) हटाने की मांग लेकर लगभग 16 सालों तक संघर्ष करने वाली इरोम शर्मिला ने मंगलवार को अपना अनशन तोड़ लिया. उन्होंने जमानत बॉन्ड भी भर दिया. वकील ने बताया कि इम्फाल के कोर्ट ने इरोम शर्मिला को 10 हजार रुपये के पर्सनल बॉन्ड पर रिहा कर दिया है.

इसके बाद मंगलवार रात करीब साढ़े दस बजे खबर मिली कि शर्मिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. फिलहाल उनकी हालात की कोई जानकारी नहीं दी गई है.

Advertisement

इरोम ने शहद के साथ अपना अनशन तोड़ा. इस दौरान वो काफी भावुक हो गईं. उन्होंने कहा कि वो अपनी रणनीति में बदलाव कर रही हैं. इरोम ने कहा, 'मैंने अपना संघर्ष खत्म नहीं किया. मैं अहिंसा का रास्ता‍ अपनाऊंगी. मुझे शक्ति चाहिए. यहां की राजनीति बहुत गंदी है.' उन्होंने अपनी राजनीतिक मंशा साफ करते हुए कहा कि वो मण‍िपुर की सीएम बनना चाहती हैं. उन्होंने कहा, 'मुझे राजनीति के बारे में कुछ भी नहीं पता. मेरी ताकत लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए होगी.'

इराेम पहले ही ऐलान कर चुकी हैं कि वे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगी. उन्होंने नवंबर 2000 में सुरक्षा बलों के हाथों 10 नागरिकों की मौत के बाद आफ्स्पा हटाने की मांग करते हुए भूख हड़ताल शुरू की थी. भूख हड़ताल पर बैठने के तीन दिन बाद ही उन्हें मणिपुर सरकार ने खुदकुशी की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था.

Advertisement

अदालत ने उनसे कहा कि जमानत बांड भरने के बाद वह जो चाहे कर सकती हैं. शर्मिला से कई लोगों ने अनशन न तोड़ने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने इस अपील को नहीं माना. सरकार ने उन्हें सिक्योरिटी दी है कि इस फैसले से उन्हें उग्रवादियों से खतरे की आशंका जताई गई है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement