पायलट पर मणिशंकर ने पलटे पार्टी के पुराने पन्ने, 'कांग्रेस ने जिसे बढ़ाया-उसी से धोखा खाया'

राहुल गांधी ने जिस नेता को सबसे अधिक प्यार किया उसी ने उन्हें सबसे पहले धोखा दिया. अबतक जो भी नेता उनके साथ हैं उनको राहुल ने इन दोनों की तुलना में कम ही चाहा था.

Advertisement
पायल पर बिफरे मणिशंकर अय्यर पायल पर बिफरे मणिशंकर अय्यर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

  • सिंधिया से राहुल की थी बेहद करीबी
  • पायलट को भी पार्टी ने सब कुछ दिया

कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर जो सभी तरह के राजनीतिक विषयों पर खुलकर बोलने वाले नेता माने जाते रहे हैं, एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार उन्होंने एक खुले खत में सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर अपना विचार जाहिर किया है. उन्होंने लिखा, 'राहुल गांधी ने जिस नेता को सबसे अधिक प्यार किया, उसी ने उन्हें सबसे पहले धोखा दिया. अब तक जो भी नेता उनके साथ हैं उनको राहुल ने इन दोनों की तुलना में कम ही चाहा था.'

Advertisement

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख में उन्होंने लिखा, 'उनके दो अच्छे दोस्त ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट 2004 में संसद पहुंचे. ये दोनों हमेशा उनके साथ होते थे. याद कीजिए राहुल गांधी का वो प्रसिद्ध आंख मारना. साथ ही ये कहना कि सिर्फ ज्योतिरादित्य सिंधिया ही उनके घर कभी भी आ-जा सकते हैं. उनकी इस घनिष्ठता ने पार्टी के अंदर पुरानी पीढ़ी बनाम नई पीढ़ी का विवाद छेड़ दिया था. जबकि पार्टी में कई और युवा नेता भी थे जो अपने विचारों से महत्वाकांक्षा और उपलब्धियों को लेकर विनम्र थे. लेकिन उनके लिए विश्वास की रैंकिंग में एक ही था.'

मणिशंकर अय्यर ने आगे लिखा, "ऐसा नहीं है कि कांग्रेस में यह पहली बार हुआ है. हमारे दौर में जय प्रकाश नारायण (जिनको लेकर नेहरू के ख्यालात थे कि वो उनकी जगह लेंगे), आचार्य नरेंद्र देव और अशोक मेहता, जिसने नेहरू को छोड़ दिया था. लेकिन उनका जाना विचारधारा की वजह से था. उन्हें लगा कि नेहरू अब समाजवादी नहीं रहे हैं. राजाजी ने पार्टी छोड़ा क्योंकि उनके मुताबिक नेहरू कुछ ज्यादा ही समाजवादी थे. ये लोग अपने पेट के लिए पार्टी छोड़कर नहीं गए थे. बल्कि एक बेहतर भारत की तलाश में अलग हुए थे, जिसकी कल्पना उन्होंने की थी."

Advertisement

सुरजेवाला बोले- सरकार गिराने में केंद्रीय मंत्री शामिल, तुरंत हो गिरफ्तारी

अय्यर ने आगे लिखा, " फिर कुछ व्यवसायी आए जिन्हें लगा कि इंदिरा गांधी उनकी कठपुतली बनकर काम करेंगी लेकिन ऐसा नहीं होने पर वो पार्टी से अलग हो गए. चंद्रशेखर और उनकी युवा टीम ने नीतियों के विरोध में पार्टी छोड़ा. लेकिन जब वे अपने सिद्धांतों को छोड़कर सेफ्रॉन ब्रिगेड की अराधना में लग गए तो उनका प्रयोग भी ताश के पत्तों के घर की तरह बिखर गया. फिर राजीव गांधी ने भी ऐसी स्थितियों का सामना किया. उनके सबसे पसंदीदा मिनिस्टर विश्वनाथ प्रताप सिंह थे. वहीं सिंधिया और पायलट तो उनके लिए एक ही थे और आरिफ मोहम्मद खान भी. ताकतवर कजिन अरुण नेहरू. सबने मिलकर पहले जनमोर्चा बनाया फिर राष्ट्रीय मोर्चा और फिर सरकार में शामिल हुए. हालांकि ये सरकार जल्दी ही गिर गई. कांग्रेस से जाने वालों का भविष्य आमतौर पर कम समय के लिए ही रहा है."

अब उसी तरह पायलट और सिंधिया रो रहे हैं कि उनके साथ अन्याय हुआ. मीडिया भी उन्हीं के सुर में गा रहा है. यह जरूर है कि कांग्रेस के लिए यह झटका है लेकिन फिर से अपने आंसू पोंछ कर उनसे दूर भागना ये उनके खुद की किस्मत है. गांधी परिवार के लिए मौजूदा समय पहले से कहीं ज्यादा कठिन है, जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखा. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वे रुकें या घबराएं. पायलट ने विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कराने में भूमिका निभाई होगी लेकिन मोदी के खिलाफ लोकसभा चुनाव में ये कुछ नहीं कर सके थे. पायलट को युवा होने की वजह से मुख्यमंत्री का पद नहीं मिला, ऐसा नहीं था और ना ही सिंधिया के साथ ऐसा हुआ. उन्हें वरीयता नहीं दी गई क्योंकि गहलोत के पास नंबर्स ज्यादा थे. यानी उनके साथ ज्यादा लोग थे और सिंधिया चुनाव से पहले ही चल रही सियासी गतिविधियों में हारे और कमलनाथ जीत गए."

Advertisement

बगावत माफ, वापसी का न्योता, घमासान के बीच चिदंबरम से पायलट ने की बात

अय्यर ने लिखा, " सचिन ने रोड एक्सीडेंट में अपने पिता को खोने के बाद पार्टी जब ज्वाइन की थी, तब वो 23 साल के थे. 26 साल की उम्र में दौसा की उस सीट से सांसद बने, जहां उनकी मां मेंबर ऑफ पार्लियामेंट थीं. 32 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री बन गए. मैने उन्हें संसद में कंपनी एक्ट के मामलों में अगुवाई करते भी देखा. 36 साल की उम्र में वो राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने. 40 साल की उम्र में डिप्टी सीएम बन गए. इसमें कोई शक नहीं उनमें अपार योग्यता है और ऊपर पहुंचने का माद्दा भी. लेकिन उनके लिए पार्टी को संरक्षण देना भी जरूरी था. ज्योतिरादित्य सिंधिया की कहानी भी बिल्कुल वैसी ही है. दोनों अच्छे समय को शेयर करना चाहते थे."

वाराणसी: नेपाली युवक का मुंडन कर सिर पर लिखा जय श्रीराम, ओली के बयान का विरोध

लेख के आखिर में मणिशंकर अय्यर ने लिखा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट गुड बाय. फिर मुलाकात होगी घड़ियाल. जब मैं 20 साल का था तब एक गाना काफी चर्चित हुआ था. तुम वहां से सीख सकते हो- आई बेग योर पार्डन, आई नेवर प्रोमिस्ड यू ए रोज गार्डन, अलोंग विद सनशाइन, देयर इज गोट टू बी ए लिटिल रेन समटाइम्स.....

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement