गर्मी के सीजन में रसदार फलों का अपना ही महत्व होता है. एक ओर जोरदार गर्मी और तीखी धूप से लोग परेशान रहते हैं तो दूसरी ओर फलों के राजा आम समेत कई रसीले फलों का रसास्वादन इस सीजन में लिया जाता है. खासकर आम के दीवानों के लिए इस सीजन का बेसब्री से इंतजार रहता है. हालांकि इस बार अभी आम की बिक्री ने जोर नहीं पकड़ा है, लेकिन देश के कई इलाकों में बारिश होने के बाद स्थिति में बदलाव आ सकता है.
फिलहाल आमों की आवक कम होने से अभी बाजार में इसकी कीमत भी ज्यादा है, लेकिन जल्द ही दामों में गिरावट आ सकती है. पिछले कुछ समय से यूपी समेत कई जगहों से लगातार आंधी-तूफान आने के कारण आम की फसल को नुकसान पहुंचा है जिससे इसके उत्पादन में गिरावट आ सकती है. हालांकि फरवरी में सरकार की ओर से आए आंकड़ों के मुताबिक आम के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना है.
22 हजार मीट्रिक टन उत्पादन की आस
फरवरी में केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में दिए गए जवाब के अनुसार इस साल देश में 22352.87 मीट्रिक टन यानी 2 करोड़ 23 लाख किलोग्राम से ज्यादा आम के उत्पादन की संभावना है. जबकि पिछले साल 2017-18 में 21822.32 मीट्रिक टन (2,18,22,320 किलोग्राम) आम का उत्पादन हुआ था.
पिछले 4 साल में आम के उत्पादन पर नजर डाली जाए तो देश में लगातार इसके उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है. 2015-16 में जहां 18642.53 मीट्रिक टन (1,86,42,530 किलोग्राम) आम का उत्पादन हुआ तो 2016-17 में 19506.20 मीट्रिक टन (1,95,06,200 किलोग्राम) की पैदावार हुई.
यूपी से बाजी मार लेगा आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक और तेलंगाना देश में आम उत्पादन के अग्रणी राज्यों में शुमार हैं. वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री की ओर से फरवरी में लोकसभा में दिए गए जवाब के अनुसार इस साल आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा आम का उत्पादन होने की संभावना है.
आंध्र प्रदेश में 5001.74 मीट्रिक टन, उत्तर प्रदेश में 4577.15 मीट्रिक टन, बिहार में 2434.65, कर्नाटक में 1866.23 मीट्रिक टन और तेलंगाना में 1080.13 मीट्रिक टन आम का उत्पादन होने की संभावना है.
सरकार के अनुसार, 2017-18 में राज्यवार आम के उत्पादन में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा जहां 4551.83 मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ. इसके बाद आंध्र प्रदेश में 4373.61 मीट्रिक टन, बिहार में 2443.47 मीट्रिक टन, कर्नाटक में 1760.60 मीट्रिक टन और तमिलनाडु 1234.00 मीट्रिक टन आम के उत्पादन के साथ क्रमशः दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर रहे.
आंध्र में 5 हजार मीट्रिक टन उत्पादन
आम के उत्पादन के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश 2015-16 से 4 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा आम का उत्पादन कर रहा है. इस साल (2018-19) यूपी में 4577.15 मीट्रिक टन आम के उत्पादन की संभावना है जो पिछली बार से थोड़ा ही ज्यादा है. ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होने के कारण आम के उत्पादन के मामले में यूपी को पीछे छोड़ते हुए इस बार आंध्र प्रदेश पहले पायदान पर आ सकता है क्योंकि इस बार वहां पर 5001.74 मीट्रिक टन से ज्यादा आम उत्पादन की संभावना जताई गई है.
विदेश में अल्फांसो और केसर बेहद लोकप्रिय
आम के उत्पादन में भारत दुनिया का अग्रणी देश है और यहां पर कुल वैश्विक उत्पादन का 42 फीसदी से ज्यादा उत्पादन होता है. भारत में आम की ढेरों वैराइटी है जिसमें अल्फांसो, दशहरी, बदामी, केसर, चौसा, लंगड़ा, नीलम प्रमुख वैराइटी हैं. देश में आम की सैकड़ों वैराइटी होने और बेहद लोकप्रिय होने के कारण इसे देश के राष्ट्रीय फल का दर्जा हासिल है.
भारत 50 हजार टन से ज्यादा आम का निर्यात करता है. देश से बाहर अल्फांसो और केसर प्रमुख रूप से निर्यात किया जाता है.
भारत के अलावा चीन, थाइलैंड, मैक्सिको, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, ब्राजील, मिस्र, बांग्लादेश और नाइजीरिया दुनिया के 10 सबसे बड़े आम उत्पादक देश हैं. जबकि अमेरिका, चीन, नीदरलैंड, यूएई, कनाडा, सऊदी अरब, मलेशिया, स्पेन, सिंगापुर और जर्मनी दुनिया के 10 सबसे बड़े आम आयातक देश हैं. हालांकि नेपाह वायरस के कारण पिछले साल यूएई ने भारत से आम आयात करने पर रोक लगा दी थी. इस कारण आम उत्पादकों को खासा नुकसान उठाना पड़ा था.
75 फीसदी की बढ़ोतरी
अंकटाड (unctad) की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 43 मिलियन टन आम का उत्पादन होता है और दुनिया का आठवां सबसे ज्यादा उत्पादित फल है. 2000 से 2013 की तुलना में आम के उत्पादन में बंपर बढ़ोतरी देखी गई. इन 13 सालों में आम के उत्पादन में 75 फीसदी का ईजाफा हुआ.
रिपोर्ट कहती है कि एशिया (31%), उत्तरी अमेरिका (29%) और यूरोप (27%) में 1.5 मिलियन टन आम का आयात किया गया.
आम की उत्पत्ति के बारे में माना जाता है कि इसकी शुरुआत दक्षिण-पूर्व एशिया में हुई. ऐसा माना जाता है कि दक्षिणी एशिया में आम की खेती करीब 6 हजार साल से की जा रही है.
प्रदेशवार आमों की लोकप्रिय वैराइटी
उत्तर प्रदेशः दशहरी, लंगड़ा, सफेदा, चौसा, बॉम्बे ग्रीन, फाजिल
आंध्र प्रदेशः नीलम, तोतापुरी, बंगलोरा
बिहारः गुलाब खास, लंगड़ा, चौसा, दशहरी, फाजिल, हिमसागर, किसनभोग
गुजरातः अल्फांसो, केसर, राजापुरी, तोतापुरी, नीलम, दशहरी, लंगड़ा
कर्नाटकः अल्फांसो, तोतापुरी, नीलम, बंगलोरा, मुलगाओ
हरियाणाः दशहरी, लंगड़ा, चौसा, फाजिल
जून का महीना चल रहा है और अभी आम की पहुंच आम घरों तक नहीं हो सकी है. उम्मीद है कि मीठे आम जल्द ही घरों में दस्तक देंगे और अपने रस से दीवानों को सराबोर कर देंगे.
सुरेंद्र कुमार वर्मा