नहीं रिहा होंगे मंगलौर हिंसा के आरोपी, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाई कोर्ट का आदेश

मंगलौर हिंसा के सीसीटीवी फुटेज के जरिये आरोपियों की पहचान कर इन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में जमानत दे दी थी. इसके खिलाफ कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी.

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19 दिसंबर को मंगलौर में हिंसा हुई थी (फाइल फोटो) 19 दिसंबर को मंगलौर में हिंसा हुई थी (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 06 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 2:26 PM IST

  • सबूतों के अभाव में मिली थी जमानत
  • फैसले को सरकार ने SC में दी थी चुनौती

कर्नाटक सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान मंगलौर के थाने में आग लगाने वाले 21 आरोपियों जमानत देने वाले हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मोहम्मद आशिक सहित अन्य को नोटिस जारी किया.

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के इन कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर हमला भी किया था. दरसअल 19 दिसम्बर को मोहम्मद आशिक सहित 20 लोगों ने सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान मंगलौर के थाने में आग लगा दी थी.

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सबूतों के अभाव में मिली थी जमानत

इसके बाद सीसीटीवी के जरिये इन आरोपियों की पहचान कर इन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में जमानत दे दी थी. इसके खिलाफ कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रोक लगा दी है.

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गौतम नवलखा और आनंद की गिरफ्तारी पर रोक

इसके साथ ही भीमा कोरेगांव हिंसा मामला में सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा और आनंद की गिरफ्तारी पर 16 मार्च तक रोक लगा दी. कोर्ट गौतम नवलखा और आनंद की याचिका पर 16 मार्च को सुनवाई करेगा.

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