बापू को श्रद्धांजलि देगा RSS, राजघाट पर होगा 'चरखा' कार्यक्रम

महात्मा गांधी के 150वीं जयंती वर्ष में होने वाले कार्यक्रमों में आरएसएस ने भी हिस्सा लेने का निर्णय लिया है. संघ की सांस्कृतिक संस्था संस्कार भारती बापू की समाध‍ि स्थल राजघाट में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन करने जा रही है.

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महात्मा गांधी की समाध‍ि स्थल राजघाट पर आरएसएस करेगा कार्यक्रम महात्मा गांधी की समाध‍ि स्थल राजघाट पर आरएसएस करेगा कार्यक्रम

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 1:45 PM IST

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को लेकर साल भर देश में कई तरह के कार्यक्रम होने हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी ऐसे कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी कर रहा है. आरएसएस की सांस्कृतिक शाखा संस्कार भारती दिल्ली के राजघाट स्थ‍ित महात्मा गांधी की समाधि में 'चरखा' के नाम से एक तीन दिनों तक चलने वाला कार्यक्रम आयोजित करेगी.

संस्कार भारती इस कार्यक्रम का आयोजन गांधी स्मृति संस्था के साथ मिलकर करेगी. इस कार्यक्रम के तहत एक हैंडीक्राफ्ट प्रदर्शनी, आरएसएस और गांधी से जुड़े विषयों जैसे भारतीयता, अहिंसा और स्वच्छता के महत्व आदि पर चर्चा और संगीत समारोह का आयोजन किया जाएगा.

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इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, इन कार्यक्रमों में केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज, महेश शर्मा, राज्यवर्धन सिंह राठौर और संघ के महासचिव कृष्णगोपाल, सुरेश सोनी सहित कई दिग्गज शामिल हो सकते हैं. संस्था ने अभी इसके आयोजन ति‍थ‍ि की घोषणा नहीं की है.

सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उस्ताद वासिफुद्दीन डागर, रंजना गौहर, सरोज वैद्यनाथन, राजा एवं राधा रेड्डी, अश्विन डालवी, शेखर सेन, पंडित भजन सपोरी और अभय सपोरी जैसे कलाकार शामिल हो सकते हैं. फिल्म निर्माता सुभाष घई भी इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं.

संस्कार भारती के राष्ट्रीय सचिव चेतन जोशी ने अखबार को बताया, 'आरएसएस की सुबह की प्रार्थनाओं में महात्मा गांधी पिछले कई साल से अभिन्न हिस्सा रहे हैं. उनके योगदान को याद करने के लिए पहली बार इतने बड़े पैमाने पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है.'

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का जोर भारतीय जड़ों पर रहा है, इसलिए हम उनकी वर्षगांठ पर भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, मणिपुरी और ध्रुपद जैसे भारतीय कला के रूपों का उत्सव मनाएंगे.

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आरएसएस के जानकारों का कहना है कि संघ इस कार्यक्रम के द्वारा यह दिखाना चाहता है कि महात्मा गांधी के प्रति उसका कोई बैरभाव नहीं है और उसके प्रचारक तो वास्तव में गांधी की सादगी और मितव्ययिता के सिद्धांत को ही अपनाते हैं.

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