भारत में भीषण गर्मी का कहर लगतार जारी है. उत्तर और मध्य भारत में अधिकतम तापमान 50 के पार पहुंच गया है, हालांकि आज मंगलवार को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. 6 जून को केरल में मानसून के दस्तक देने की उम्मीद है, 31 मई तक प्री-मानसून में बारिश बेहद कम हुई है.
65 साल में दूसरी बार प्री-मानसून में इतनी कमी
65 साल में दूसरी बार प्री-मानसून में इतनी कमी और सूखे की स्थिति पैदा हुई है. 1954 के बाद ऐसा दूसरी बार हुआ है जब प्री-मानसून में इतनी कम बारिश हुई हो. उस समय 93.9 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी. उसके बाद 2012 में 90.5 मिलीमीटर बारिश हुई थी. अब 7 साल बाद 2019 में 99 मिलीमीटर बारिश हुई.
2009 के समान अल नीनो का असर
सिर्फ यही नहीं, इन्ही दो सालों में सबसे बड़ी समानता ये भी रही कि ये दो साल अल नीनो वर्ष रहे हैं. माना जाता है कि अल-नीनो मानसून पर अपना असर डालती है. स्काईमेट के मुताबिक, मानसून के आने और बरसात में थोड़ी कमी की असली वजह अल नीनो का असर है. स्काईमेट के मुताबिक, 2009 में माइल्ड अल नीनो देखा था, जिसमें नीनो 3.4 सूचकांकों के साथ 0.5 °C और 0.7 °C के बीच था. इससे 22% की भारी कमी देखने को मिलनी थी.
2019 तक आते-आते प्रशांत महासागर में अत्यधिक गरमाहट देखी जा रही है. अल नीनो 3.4 सूचकांकों के साथ अब तक 0.7 °C से 0.9 °C के बीच है. स्काईमेट के मुताबिक, मानसून में देरी होने का अर्थ बारिश की मात्रा में कमी नहीं है. पर इतना है कि इस बार बारिश सामान्य से कम होगी. हमारी भविष्यवाणी सामान्य के 93 फीसदी तक बरसात की थी और हम उस पर कायम हैं.
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