देश का सबसे लंबा रेल और रोड ब्रिज बनकर तैयार है. लगभग पांच किलोमीटर लंबे इस पुल को आप न्यू इंडिया की अनोखी इंजीनियरिंग भी कह सकते हैं. दो मंजिला बने इस पुल पर एक साथ ट्रेन और बसें दौड़ सकती हैं. असम में डिब्रूगढ़ के पास ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस डबल डेकर रेल और रोड ब्रिज का उद्घाटन 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. असम में बने इस पुल को तैयार करने में तकरीबन 4857 करोड़ रुपये की लागत आई है. इस पूल की वजह से आवाजाही तो आसान होगी ही लेकिन इससे ज्यादा बड़ी बात यह है कि इस पुल से भारतीय सेना की सामरिक जरूरतों को पूरा किया गया है. इस पुल के चालू हो जाने के बाद असम के डिब्रूगढ़ से अरुणाचल की दूरी काफी कम हो जाएगी. 4.94 किलोमीटर की लंबाई वाला बोगीबील ब्रिज असम के डिब्रूगढ़ में ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिण तट को धेमाजी जिले से जोड़ता है. इससे ही सटा अरुणाचल का सिलापत्थर भी है.
इस तरह से बोगीबील ब्रिज रेलवे और रोड दोनों तरीके की कनेक्टिविटी धेमाजी और अरुणाचल के तमाम इलाकों को देने जा रहा है. डिब्रूगढ़ की रेलवे लाइन अब सीधे अरुणाचल के नाहरलगुन से जुड़ गई है. नाहरलगुन से अरुणाचल की राजधानी ईटानगर की दूरी महज 15 किलोमीटर है. इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि बोगीबील ब्रिज से अरुणाचल की राजधानी सीधे-सीधे डिब्रुगढ़ से जुड़ जाएगी.
चीन की चुनौती को जवाब
अरुणाचल प्रदेश में चीन की चुनौतियों और सेना की जरूरतों को देखते हुए यह ब्रिज काफी अहम हो गया है. बोगीबील ब्रिज को इतना मजबूत बनाया गया है कि इस पर भारी टैंक और सैनिक साजो सामान आसानी से ले जाया जा सके. बोगीबील ब्रिज को 2007 में राष्ट्रीय प्रोजेक्ट का दर्जा दिया गया था. बोगीबील रेल रोड डिब्रूगढ़ शहर से 17 किलोमीटर की दूरी पर ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाया गया है. यह पुल डबल डेकर है. इसमें ऊपर 3 लेन की सड़क बनाई गई है तो इसके नीचे ब्रॉड गेज की 2 रेलवे लाइनें बिछाई गई हैं. यह पुल पूर्वोत्तर भारत के लिए जीवन रेखा माना जा रहा है.
देवगौड़ा ने शिलान्यास किया, मोदी करेंगे उद्घाटन
बोगीबील ब्रिज के इतिहास के बारे में बात करें तो 1985 में हुए असम समझौते में इस पुल को बनाने का वायदा किया गया था. इस पुल को 1997-98 में स्वीकृति मिली उसके बाद प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने 22 जनवरी 1997 को इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया. लेकिन बोगीबील ब्रिज का काम 2002 में तब शुरू हुआ जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस विशालकाय रेल और रोड ब्रिज के निर्माण को हरी झंडी दिखाई. पीएम मोदी पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर ही इस पुल का उद्घाटन करने वाले हैं.
शानदार इंजीनियरिंग का नमूना
बोगीबील ब्रिज की शुरुआती लागत 3230 करोड़ रुपये थी जो अब बढ़कर 4857 करोड़ रुपये हो गई है. बोगीबील ब्रिज के चीफ इंजीनियर महेंद्र सिंह ने बताया की ब्रह्मपुत्र नदी पर 4.94 किलोमीटर लंबा पुल यूरोपीय मानकों के आधार पर बनाया गया है. इसके निर्माण में जो सामग्री इस्तेमाल की गई है वो जंगरोधी है. उनका दावा है कि यह 120 साल तक पूरी तरह सुरक्षित है.
उन्होंने बताया कि इस पुल में 42 डबल डी वेल फाउंडेशन के खंभे हैं, इन खंभों की वजह से पुल की मजबूती बहुत ज्यादा है. इस वजह से भयानक बाढ़ और बड़े भूकंप के झटकों को भी ये पुल आसानी से सहन कर सकता है.
महेंद्र सिंह के मुताबिक इस पुल के बनने से पूर्वी असम से अरुणाचल प्रदेश के बीच सफर करने में लगने वाला वक्त 4 घंटे रह जाएगा. इसके अलावा राजधानी दिल्ली से डिब्रूगढ़ की रेल यात्रा का समय भी 3 घंटे कम होकर 34 घंटे रह गया है. इस पुल के बनने से पहले इस दूरी को तय करने में 37 घंटे का समय लगता था. बोगीबील ब्रिज से गुजरने वाली ट्रेन का नाम तिनसुकिया नाहरलगुन इंटरसिटी एक्सप्रेस होगा और यह सप्ताह में 5 दिन चलेगी.
सिद्धार्थ तिवारी