लोकसभा में ओवैसी बोले- हलाला का क्लासिक उदाहरण है आधार बिल

लोकसभा में आधार बिल पर चर्चा के दौरान AIMIM के सांसद असदुद्दीन औवेसी ने कहा कि इस बिल के कई प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हैं. यह हलाला का क्लासिक उदाहरण है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कह चुका कि सरकारी डाटा प्राइवेट कंपनियों को नहीं दिया जा सकता.

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AIMIM के सांसद असदुद्दीन औवेसी AIMIM के सांसद असदुद्दीन औवेसी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 10:56 PM IST

लोकसभा में गुरुवार को आधार बिल को लेकर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बीच तीखी बहस हुई. इस दौरान आधार बिल पर लोकसभा में चर्चा करते हुए ओवैसी ने कहा कि यह सरकार जियो और जीने दो में नहीं, बल्कि सिर्फ जियो-जियो-जियो में विश्वास करती है.

उन्होंने रविशंकर प्रसाद को संबोधित करते हुए कहा, 'आप इसे व्यंग्य में लेना. आपको देखकर ऐसा लग रहा कि आप मेरा एनकाउंटर कर देंगे. इसके जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'हम आपके व्यंग्य को भी गंभीरता से लेते हैं.' इस ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा, 'आपका चेहरा बता रहा कि आप मुझे खा जाएंगे. आधार बिल असंवैधानिक है. आप लोकसभा में भले ही इस बिल को पारित करा लें, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आगे यह टिक नहीं पाएगा.'

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औवेसी ने कहा, 'इस बिल के कई प्रावधान सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हैं. यह हलाला का क्लासिक उदाहरण है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कह चुका कि सरकारी डाटा प्राइवेट कंपनियों को नहीं दिया जा सकता. इससे सरकार और प्राइवेट कंपनियों के बीच शादी टूट गई है और यह हलाला का क्लासिक केस बन चुका है.' ओवैसी ने कहा कि सरकार प्राइवेट कंपनियों के इशारों पर नाच रही है और उसे निजता की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है. यह ठीक उसी तरह है कि आपने किसी से चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड लिया और जिसने चुनाव बाद आपको जेम्स बॉन्ड बना दिया.

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'कुछ सांसद कह रहे हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ क्यों जा रहे हैं? मैं कहता हूं कि लोकसभा को कानून बनाने का अधिकार है. लिहाजा हमको इस शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए और कानून बनाना चाहिए.'

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आज आधार के जरिए मनरेगा के लाभार्थियों के खाते में सीधे पैसे भेजे जा रहे हैं. अगर उज्ज्वला योजना और सौभाग्य योजना के लाभार्थियों को आधार से कोई दिक्कत नहीं है, तो सांसद इसको लेकर क्यों चिंतित हैं? उन्होंने यह भी कहा कि भारत डेटा सॉवरेनिटी का पूरा समर्थन करता है. इससे किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि आज आधार पर वैश्विक स्तर पर चर्चा हो रही है. दुनियाभर में आधार योजना की तारीफ हो रही है. ऐसे में कांग्रेस को भी आधार पर यकीन करना चाहिए और प्रोत्साहित करना चाहिए. इस बिल में संशोधन करके आधार को पूरी सुरक्षा के साथ स्वैच्छिक बनाया गया है.

वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आधार का श्रेय मोदी सरकार लेने की कोशिश कर रही है, जबकि आधार और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) यूपीए सरकार का ब्रेन चाइल्ड हैं. उन्होंने कहा, 'यह बात सच है कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के भाषण से बू आ रही है कि संसद के निर्णय को कोर्ट में न ले जाएं. यह सही नहीं है.

उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि चुस्त-दुरुस्त और त्रुटिहीन हो. इसलिए इसको सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए. हालांकि आधार पर अधीर रंजन के प्रस्ताव को लोकसभा में खारिज कर दिया गया. इसके बाद आधार बिल पर संशोधन को लेकर ध्वनि मत से फैसला किया गया. इसके बाद आधार बिल लोकसभा से पारित हो गया.

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