झारखंड: लॉकडाउन में स्कूल बंद तो टीचर करने लगा खेती, आवारा शख्स उगाने लगा पपीता

जामताड़ा वैसे तो दुनिया भर में फिशिंग यानी इलेक्ट्रॉनिक जालसाजी के काम के लिए चर्चित है और उस पर एक वेब सीरिज भी बन चुकी है लेकिन उसी जामताड़ा के लोगों में लॉकडाउन में एक अलग ही इफेक्ट नजर आने लगा है.

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खेती करता शिक्षक शिवधन हेम्ब्रम (वीडियो ग्रैब) खेती करता शिक्षक शिवधन हेम्ब्रम (वीडियो ग्रैब)

देवाशीष भारती

  • जामताड़ा,
  • 21 मई 2020,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

  • लॉकडाउन में स्कूल बंद तो टीचर करने लगा मूंग की खेती
  • लॉकडाउन में आवारा की तरह घूमना बंद तो उगाने लगा पपीता

फिशिंग के लिए चर्चित झारखंड के जामताड़ा जिले में लॉकडाउन का एक अलग ही इफेक्ट देखने को मिल रहा है. यहां कोई कोई मूंग तो कोई पपीता लगाकर आत्मनिर्भर बनने की राह पर है. जामताड़ा में ऐसी दो तस्वीरें सामने आई हैं.

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शिवधन हेम्ब्रम, स्कूल में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. लॉकडाउन लगने से स्कूल बंद हो गए. अब इनके लिए समय गुजारना मुश्किल साबित हो रहा था तो उन्होंने एक एकड़ में मूंग की खेती कर डाली. अब तो मूंग की फसल दो महीने के अंदर तैयार भी हो चुकी है.

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शिवधन बताते हैं कि स्कूल बंद होने से समय गुजारना मुश्किल हो रहा था लेकिन जब से खेतों की ओर रुख किया तब से यह पता ही नहीं चला कि लॉकडाउन नाम की भी कोई चीज देश में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि इसके दो फायदे हुए. एक तो समय आसानी से कट गया दूसरी ओर हमें उपज भी मिली.

दूसरी तस्वीर मुरीडीह गांव की है. मुरीडीह गांव के धर्मराज कोल जिसने लॉकडाउन में पपीते की खेती शुरू कर दी थी. अब तो पपीते के पौधे फसल देने के लिए तैयार हो गए हैं. आमतौर पर वह चौक-चौराहों में अपना समय आवारागर्दी करते हुए निकालते थे.

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लॉकडाउन में धर्मराज के निकलने पर पाबंदी लग गई तो उसने खेती की राह चुनी. इसने कुछ एकड़ जमीन पर 300 पपीते के पौधे लगा दिए. यह पपीते के पौधे अब बढ़े हो गए हैं और एक पेड़ में एक क्विंटल तक पपीता निकलता है. धर्मराज कोल का मानना है कि लोग अगर खेती करें तो उन्हें अच्छी आमदनी होगी और दूसरों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा.

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