बंगाल के बुद्धिजीवियों ने अमित शाह का निमंत्रण स्वीकारा पर मिलने से किया इनकार

दरअसल ज्यादातार कलाकारों, संस्कृतिकर्मियों और बुद्धिजीवियों ने निमंत्रण तो स्वीकार कर लिया, लेकिन शाह से मिलने या लेखक बंकिम चंद्र चटोपध्याय पर आयोजित कार्यक्रम में मंच साझा से इनकार कर दिया है. गौरतलब है कि बीजेपी 'संपर्क फॉर समर्थन' अभियान के तहत देशभर के बुद्धिजीवियों और जानेमाने लोगों से मिल कर एनडीए सरकार की उपलब्धियों को बता रही है.

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बुद्धिजीवियों का अमित शाह से मिलने से इनकार बुद्धिजीवियों का अमित शाह से मिलने से इनकार

मनोज्ञा लोइवाल / वरुण शैलेश

  • कोलकाता,
  • 28 जून 2018,
  • अपडेटेड 8:48 AM IST

पश्चिम बंगाल के बुद्धिजीवियों, कलाकारों और संस्कृतिकर्मियों ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलने से इनकार कर दिया है. अगले लोकसभा चुनाव में जीत फतह करने की तैयारी के मद्देनजर पश्चिम बंगाल के दौरे पर कोलकाता पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ बुधवार को मंच साझा करने से कई बड़े बुद्धिजीवियों ने मना कर दिया.

यात्रा के पहले दिन शाह का बुधवार को कोलकाता के बुद्धिजीवियों से मुलाकात का कार्यक्रम था. लेकिन इन्होंने अमित शाह से मिलने से इनकार कर दिया. इन बुद्धिजीवियों में रंगमंचकर्मी सौमित्र चटर्जी, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अशोक गांगुली, समाजिक कार्यकर्ता संतोष राना,  थियटर स्टार रुद्रप्रसाद सेन गुप्ता, चंदन सेन, मनोज मित्रा, गायक अमर पॉल और चित्रकार समीर ऐक हैं.

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दरअसल ज्यादातार कलाकारों, संस्कृतिकर्मियों और बुद्धिजीवियों ने निमंत्रण तो स्वीकार कर लिया, लेकिन शाह से मिलने या लेखक बंकिम चंद्र चटोपध्याय पर आयोजित कार्यक्रम में मंच साझा से इनकार कर दिया है. गौरतलब है कि बीजेपी 'संपर्क फॉर समर्थन' अभियान के तहत देशभर के बुद्धिजीवियों और जानेमाने लोगों से मिल कर एनडीए सरकार की उपलब्धियों को बता रही है.

कांग्रेस पर निशाना साधा

इस बीच अमित शाह ने राष्ट्र गीत 'वंदे मातरम' को संप्रदायिक रंग देने की कोशिश करने वालों की आलोचना की है. साथ ही, उन्होंने देश के बंटवारे के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया. शाह ने राष्ट्र गीत वंदे मातरम की रचना करने वाले बंकिम चंद्र चटोपाध्याय पर एक व्याख्यान देते हुए कहा , 'वंदे मातरम हमारे देश के भू-सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक है. इसे किसी धर्म से या किसी के विरोध से जुड़े गीत के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि ऐसे गीत के तौर पर देखा जाना चाहिए, जो राष्ट्रवाद का प्रतीक है.'

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भाजपा अध्यक्ष ने कहा, 'कांग्रेस ने इसे धार्मिक रंग देने की गलती दोहराई है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पहले जब कांग्रेस ने अस्थाई सरकारें बनाई थी , तब उसने वंदे मातरम को राष्ट्र गीत बनाया था लेकिन एक समुदाय के तुष्टिकरण के लिए केवल पहले दो स्टैंजा ही गाए जाते थे। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस ने यह गलती नहीं की होती, तो देश का विभाजन नहीं हुआ होता.'

शाह ने कहा, 'इतिहासकार कभी खिलाफत आंदोलन को, तो कभी अंग्रेजों की 'फूट डालो और राज करो' की नीति को और कभी कभी मुस्लिम लीग के द्विराष्ट्र का सिद्धांत को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस के तुष्टीकरण की नीति के आगे झुकते हुए वंदे मातरम का केवल दो स्टैंजा लेने का निर्णय भारत के विभाजन का कारण बना.'

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