केरल: भारत बंद के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेता की बोट रोकी, होगी कार्रवाई

ट्रेड यूनियनों और अन्य संगठनों ने बुधवार को भारत बंद बुलाया था लेकिन इस भारत बंद के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल लेविट, एक हाउस बोट पर फंस गए. जिसके बाद केरल सरकार ने इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर एक्शन लेने की बात कही है.

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कदमपल्ली सुरेंद्रन, केरल के पर्यटन मंत्री कदमपल्ली सुरेंद्रन, केरल के पर्यटन मंत्री

गोपी उन्नीथन

  • तिरुवनंतपुरम,
  • 09 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 5:58 PM IST

  • कुट्टनाड में एक हाउस बोट पर फंस गए नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल लेविट
  • केरल सरकार ने इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर एक्शन लेने की बात कही

ट्रेड यूनियनों और अन्य संगठनों ने बुधवार को भारत बंद बुलाया था लेकिन इस भारत बंद के दौरान नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल लेविट, एक हाउस बोट पर फंस गए. जिसके बाद केरल सरकार ने इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर एक्शन लेने की बात कही है. दरअसल माइकल लेविट केरल सरकार के मेहमान के तौर पर आए थे लेकिन बुधवार को भारत बंद विरोध के कारण कुट्टनाड में एक हाउस बोट पर फंस गए. इस वजह से उन्हें एक घंटे बोट पर बिताना पड़ा.

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वहीं केरल के पर्यटन मंत्री कदमपल्ली सुरेंद्रन ने इस घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही है. पुलिस ने फिलहाल बोट चालक का बयान दर्ज कर केस दर्ज कर लिया है. पुलिस ने बताया कि चार-पांच कार्यकर्ता थे जिसने बोट को रोका था. उसने एक घंटे तक बोट को रोके रखा. हालांकि बाद में उन्हें जाने दिया गया.

नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल लेविट को राज्य सरकार ने केरल विश्वविद्यालय के एक प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए बुलाया था. लेविट अभी केरल में ही हैं. बताया जा रहा है कि वो फिलहाल यहीं रहेंगे और अपना दौरा जारी रखेंगे.   

बेंगलुरू में भारत बंद का मामूली असर

बुधवार को बुलाए गए बंद का टेक सिटी पर बहुत कम असर दिखा. यहां जनजीवन सामान्य दिनों की तरह रहा. राज्य के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "शहर में बंद का कोई असर नहीं दिखा लेकिन बैंकिग कामकाज प्रभावित रहा, क्योंकि बैंक स्टाफ ट्रेड यूनियनों का समर्थन कर रहे हैं."

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हालांकि, केंद्र सरकार के श्रमिक विरोधी कानूनों और निजीकरण के प्रयासों के विरोध में हजारों लोगों ने कर्नाटक के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

प्रदर्शनकारी कई जगहों जैसे तुमकुरु, मैसुरू, बेंगलुरू और दूसरी जगहों पर ट्रेड यूनियनों के लाल झंडे लिए दिखाई दिए. बेंगलुरू के नीलमंगला व पीन्या इलाकों में भी विरोध प्रदर्शन देखा गया. ट्रेड यूनियन 49 रक्षा उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण व रेलवे के निजीकरण के खिलाफ हैं. प्रदर्शनकारी न्यूनतम वेतन को 21,000 रुपये से 24,000 रुपये प्रति माह की सीमा के बीच बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआईटीयू), इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस और लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) ने भारत बंद का आह्वान किया था.

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