35A पर सुनवाई से पहले कश्मीर घाटी में टेंशन, राशन-दवा स्टॉक करने के आदेश

संविधान की धारा 35ए पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले सरकार ने अलगाववादियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की और 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया. इससे शनिवार को कश्मीर घाटी में तनाव व्याप्त हो गया.

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जम्मू कश्मीर में सेना के जवान (फोटो-AP) जम्मू कश्मीर में सेना के जवान (फोटो-AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 7:46 AM IST

जम्मू कश्मीर में पुलवामा आतंकी घटना के बाद से तनाव की स्थिति बनी हुई है. आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा इस हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पूरा देश गुस्से में है. शनिवार को पीएम मोदी ने पाकिस्तान से पूरा हिसाब बराबर करने की चेतावनी दी. तो वहीं, दूसरी तरफ अनुच्छेद 35ए पर संभावित सुनवाई से पहले कश्मीर घाटी में हालात और संवेदनशील हो गए हैं.

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सोमवार को संविधान की धारा 35ए पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होना संभावित है और इससे पहले सरकार ने अलगाववादियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की और 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया. इससे शनिवार को कश्मीर घाटी में तनाव व्याप्त हो गया. शांति व्यवस्था के मद्देनजर सरकार ने घाटी के इलाकों में धारा 144 लागू कर दी है.

अतिरिक्त फोर्स तैनात

घाटी में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्द्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां यानी 10 हजार जवानों की तैनाती की गई है. सेना और पुलिस हर संदिग्ध गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है. शुक्रवार की रात घाटी में लड़ाकू विमानों के उड़ने की आवाज देर रात डेढ़ बजे तक सुनाई दी. जिसके बाद भारत-पाकिस्तान तनाव के मद्देनजर घाटी के लोगों के मन में चिंताएं पैदा हो गईं. हालांकि, भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने इसे एक नियमित अभ्यास बताया.

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जरूरी चीजों के इंतेजाम का आदेश

सरकार की तरफ से स्थानीय प्रशासन को बुनियादी चीजों के इंतेजाम करने के निर्देश दिए हैं. प्रशासन से दवा और खाने-पीने की जरूरी चीजों का स्टॉक रखने के लिए कहा गया है.

महबूबा ने जताई नाराजगी

सरकार ने अनुच्छेद 35 ए पर सुनवाई से पहले यासीन मलिक समेत कई अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार किया. हालांकि, पुलिस ने इसे नियमित प्रक्रिया करार देते हुए कहा कि कुछ नेताओं और संभावित पत्थरबाजों को हिरासत में लिया गया है. लेकिन अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार करने का सरकार का कदम घाटी में नेताओं को रास नहीं आ रहा. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इसे लेकर भी नाराजगी जाहिर की है.

महबूबा ने ट्वीट किया, ‘पिछले 24 घंटों में हुर्रियत नेताओं और जमात संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है. इस तरह की मनमानी कार्रवाई को समझ नहीं पा रही हूं, इससे जम्मू कश्मीर में केवल हालात जटिल ही होंगे. किस कानूनी आधार पर उनकी गिरफ्तारी न्यायोचित ठहराई जा सकती है? आप एक व्यक्ति को हिरासत में रख सकते हैं लेकिन उनके विचारों को नहीं.’

मीरवाइज ने कहा- ऐसे तो स्थिति और खराब होगी

वहीं, हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुक ने जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को हिरासत में लेने और जमात-ए-इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर के नेताओं पर छापेमारी के खिलाफ नाराजगी जताई. मीरवाइज ने कहा कि बल प्रयोग और डराने से स्थिति केवल खराब ही होगी.

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मीरवाइज ने ट्विटर पर लिखा, ‘जमात-ए-इस्लामी नेतृत्व और इसके कार्यकर्ताओं पर रात में हुई कार्रवाई और यासीन मलिक की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता हूं. कश्मीरियों के खिलाफ इस तरह के गैरकानूनी और कठोर उपाय निरर्थक हैं और जमीन पर वास्तविकताएं नहीं बदलेंगी. बल प्रयोग और डराने से स्थिति केवल खराब होगी.’

JRL ने बुलाया बंद

इस बीच अलगाववादियों के संगठन 'ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप' (JRL) ने रविवार को घाटी में बंद बुलाया है. JRL ने कहा, 'मनमाने ढंग से की गई गिरफ्तारियों, रात में छापेमारी, राज्य में दमन, हत्या और सेंसरशिप के कारण लोगों के बीच असुरक्षा और अनुच्छेद 35-ए के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ के विरोध में 24 फरवरी को हड़ताल की जाएगी.'

सोमवार को बड़ी बैठक, सीतारमण भी रहेंगी मौजूद

बता दें कि कश्मीर में अलगाववादियों से सख्ती से निपटने के साथ ही सुरक्षा बलों का आतंकवाद खिलाफ ऑपरेशन भी लगातार जारी है. शुक्रवार को सोपोर में सुरक्षा बलों ने जैश ए मोहम्मद के दो आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया. पुलवामा हमले पर सोमवार को बड़ी बैठक भी बुलाई गई है. दूतावास के रक्षा अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई गई इस बैठक में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद रहेंगी.

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