भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में तुर्की और मलेशिया की ओर से कश्मीर मसले पर की गई टिप्पणी पर गहरी नाराजगी जताने के साथ ही दोनों देशों के बयान को पक्षपाती करार दिया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन और मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के बयान की निंदा करते हुए नसीहत दी कि पहले बोलने के पहले जमीनी हकीकत पर ध्यान दें.
रवीश कुमार ने आलोचना करते हुए कहा कि दोनों नेताओं ने जमीनी हकीकत को जाने बिना यह टिप्पणी की और उन्हें आगे से इस प्रकार की टिप्पणी करने से बचना चाहिए.
पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने अपने संबोधन में कहा था कि जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के बावजूद, देश पर हमला किया गया है और कब्जा कर लिया गया है. ऐसा करने के कारण हो सकते हैं, लेकिन यह फिर भी गलत है. उन्होंने आगे कहा था कि भारत को चाहिए कि वह पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करे और इस समस्या का समाधान करे.
मलेशिया के रुख की निंदा करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने अन्य सभी रियासतों की तरह भारत के साथ विलय का फैसला किया. जबकि पाकिस्तान ने हमला किया और राज्य के एक हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया. मलेशिया की सरकार को दोनों देशों के बीच के दोस्ताना संबंधों को ध्यान में रखना चाहिए और ऐसी टिप्पणी करने से बचना चाहिए.
मलेशिया की तरह तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के बावजूद आठ लाख लोग कैद में हैं. तुर्की पर रवीश कुमार ने कहा कि हम तुर्की सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इस मुद्दे पर कोई और बयान देने से पहले जमीनी हकीकत को ठीक प्रकार से समझ ले. यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है.
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