तमिलनाडु की सियासत बदलने वाले करुणानिधि की राजनीति खुद विवादों में रही

भारत और श्रीलंका के बीच रामसेतु का करुणानिधि विरोध करते रहे. तमिलनाडु में वह हिंदी विरोधी आंदोलन के नेता रहे. राज्य के विधानसभा में जब जयललिता का चीरहरण हुआ तब भी करुणानिधि पर सवाल उठे.

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फाइल फोटो फाइल फोटो

दीपक कुमार / राम कृष्ण

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2018,
  • अपडेटेड 7:59 AM IST

तमिलनाडु की राजनीति का एक बड़ा स्तंभ रहे एम करुणानिधि दुनिया को अलविदा कह गए और अपने पीछे छोड़ गए संघर्ष की वो गाथा, जिसने राज्य की सियासत को ही बदल कर रख दिया.

पूर्वी तमिलनाडु के एक साधारण से परिवार में पैदा हुए करुणानिधि ने गरीबी की वजह से सिर्फ आठवीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रख दिया. तमिलनाडु की सियासत बदलने वाले करुणानिधि की राजनीति खुद विवादों में घिरी रही. हालांकि वो जीवन के किसी भी पड़ाव में शिथिल नहीं पड़े.

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जयललिता और करुणानिधि का विवाद

जयललिता और करुणानिधि के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंदिता जगजाहिर है. 1989 में तमिलनाडु विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधि के सामने जयललिता के अपमान की घटना ने राज्य की सियासत में निजी वैमनस्य बढ़ाने का काम किया. कुछ सालों बाद जब जयललिता मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने एक मामले में आधी रात को करुणानिधि को नींद में उठाकर हवालात में डलवा दिया था. यह तस्वीर पूरे देश ने देखी कि किस कदर करुणानिधि अस्त-व्यस्त कपड़ो में पुलिस के सामने चीख पुकार कर रहे थे.

एलटीटीई से रिश्ते पर उठे सवाल

एलटीटीई से उनके रिश्ते ने भी कई सवाल खड़े किए. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का कहना था कि एलटीटीई से संबंधों के कारण ही साल 1991 में उन्होंने करुणानिधि सरकार को बर्खास्त किया था. आज चंद्रशेखर सरकार में मंत्री रहे सुब्रमण्यम स्वामी कुछ इस तरह करुणानिधि को याद करते हैं - करुणानिधि ने अपनी शर्तों पर राजनीति की. उन पर भ्रष्टाचार और वंशवाद के आरोप लगे, लेकिन इन आरोपों के बीच अपनी पारी खेलकर वो पवेलियन लौट गए. बस शतक से छह कदम दूर रह गए.

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दोस्त ने बना ली दूरी

गरीबी में बचपन धंसा था, लेकिन जवानी का हौसला था और इसीलिए कामयाबी की उस बुलंदी को करुणानिधि ने अपने कदमों से छू लिया. यह किसी फिल्मी कहानी की तरह लगता है. फिल्मी कहानी से याद आया कि तमिल फिल्मों के सुपरस्टार एमजी रामचंद्रन कभी करुणानिधि के दोस्त होते थे और उन्हें अपना नेता भी मानते थे. हालांकि कुछ समय बाद एमजी रामचंद्रन ने भ्रष्टाचार और वंशवाद का आरोप लगाकर उनसे दूरी बना ली. इसके बाद तमिलनाडु की राजनीति बदल गई. दरअसल, एमजी रामचंद्रन ने डीएमके से अलग होकर एआईएडीएमके बना ली और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी बने.

गरीबी के चलते छोड़नी पड़ी पढ़ाई

करुणानिधि के गरीबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आठवीं के बाद उनको पढ़ाई छोड़नी पड़ी. इसके बाद वो राजनीति में गए, लेकिन इसके समांतर तमिल फिल्मों की तरफ भी मुड़े, जहां इनकी लिखी स्क्रिप्ट पर बनी फिल्में कामयाबी के झंडे गाड़ने लगीं. वह ऐसे विद्वान थे जिन्होंने दसवीं पास न होकर भी 100 से ज्यादा किताबें लिखीं और उन कहानियों पर फिल्में बनीं. इन फिल्मों में एमजी रामचंद्रन की अदाकारी ने उनको सुपरस्टार बना दिया, लेकिन जब अपनी पहली पत्नी पद्मावती से बेटे मुथु को  फिल्मों में बढ़ाना चाहा, तो बेटे की फिल्म नहीं चली. साथ ही एमजीआर से भी उनके संबंध बिगड़ते गए.

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तीन शादियां की करुणानिधि ने

करुणानिधि की राजनीति का विस्तार जितना ज्यादा था, उतना ही उनकी फिल्मों का भी विस्तार था और उतना ही उनके परिवार का भी. तमिल राजनीति और फिल्म के इस दिग्गज चेहरे ने तीन शादियां की और इनके छह बच्चे हुए. लेकिन जवानी के दिनों में आदर्श इतना हावी था कि अपनी प्रेमिका से अपने उसूलों के कारण शादी नहीं की.

प्रेमिका से नहीं की थी शादी

दरअसल, 1944 में जब करुणानिधि 20 साल के थे तो अपनी प्रेमिका से शादी करना चाहते थे लेकिन उनकी प्रेमिका के घरवाले परंपरागत तरीके से शादी करने से पीछे हटने को तैयार नहीं थे. परंपरागत तरीका यानी मंत्रोच्चार और मंगलसूत्र वगैरह. करुणानिधि इसे पाखंड मानते थे और इसीलिए वह तैयार नहीं हुए. नतीजा ये हुआ कि दिलरुबा रूठी और रिश्ता टूट गया.

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