सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोली कांग्रेस- ऑपरेशन लोटस फेल, सत्यमेव जयते

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर को फैसला लेने का आदेश दिया है. इस पर कांग्रेस ने कहा, ऑपरेशन लोटस फेल हो गया है. सत्यमेव जयते.

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कर्नाटक में सियासी संकट बरकरार है (IANS) कर्नाटक में सियासी संकट बरकरार है (IANS)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 11:52 AM IST

कर्नाटक के सियासी उथल-पुथल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर को फैसला लेने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कर्नाटक कांग्रेस ने ट्वीट करके लिखा, 'ऑपरेशन लोटस फेल हो गया है. सत्यमेव जयते.'

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि बागी विधायकों को विधानसभा में विश्वास मत में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश कर्नाटक में चल रहे राजनीतिक संकट को देखते हुए दिया. गुरुवार को कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी सदन में विश्वास मत साबित करेंगे.

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18 जुलाई को विधानसभा की बैठक होगी जिसमें मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी सत्तारूढ़ कांग्रेस-जनता दल-जेडीएस गठबंधन सरकार को बचाए रखने के लिए विश्वास मत पेश करेंगे. सोलह विधायकों के इस्तीफे से मुश्किल में फंसी कर्नाटक सरकार का संकट जस का तस बना हुआ है. गठबंधन को हालांकि सोमवार को भाजपा की बहुमत पेश करने की मांग से बचने का मौका जरूर मिल गया. सदन में कार्रवाई के दौरान मुख्यमंत्री ने मांग की कि बहुमत परीक्षण को गुरुवार तक के लिए टाल दिया जाए, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद सदन की कार्रवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी है.

गौरतलब है कि अध्यक्ष ने अभी तक बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार नहीं किए हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें यह पता लगाने के लिए देखने की जरूरत होगी कि वे उचित प्रारूप में हैं भी या नहीं. बता दें कि 16 बागियों में से 15 ने 10 जुलाई और 13 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में इस्तीफे स्वीकार करने में हो रही देरी के कारण विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने की गुहार लगाई थी. इस संबंध में शीर्ष अदालत मंगलवार को फिर से सुनवाई करेगी.

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225 सदस्यीय विधानसभा में, कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के पास बसपा और एक क्षेत्रीय पार्टी के एक-एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन के साथ अध्यक्ष सहित कुल 118 विधायक हैं. यह जरूरी बहुमत के निशान से सिर्फ पांच ही अधिक है. अब अगर 16 बागी और दो निर्दलीय सहित सभी 18 विधायक सत्र में शामिल नहीं होते हैं, तो मतदान के लिए सदन की प्रभावी शक्ति 205 ही रह जाएगी, जिसमें बीजेपी के 105 सदस्य होंगे. जबकि अध्यक्ष और नामित सदस्य को शामिल नहीं किया जाएगा.

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