सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कर्नाटक का संकट टाई, कल सदन में होगा 'सुपर ओवर'

ऐसे में अभी भी ये तस्वीर साफ नहीं है कि क्या कांग्रेस-जेडीएस की एचडी कुमारस्वामी सरकार बच पाएगी या नहीं. गुरुवार को जब विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होगा, तो क्या-क्या परिस्थितियां बन सकती हैं. एक नज़र डालें...

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कर्नाटक में जारी सरकार पर संकट! (फोटो क्रेडिट: IANS) कर्नाटक में जारी सरकार पर संकट! (फोटो क्रेडिट: IANS)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST

कर्नाटक में बीते दो हफ्ते से जारी राजनीतिक घमासान अब अपने अंजाम तक पहुंचता दिखाई दे रहा है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया और बागी विधायकों के इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार को खुली छूट दे दी. हालांकि, अपने इस फैसले के साथ कोर्ट ने यह भी कह दिया कि फ्लोर टेस्ट में शामिल होने के लिए इस्तीफा दे चुके विधायकों को बाध्य नहीं किया जा सकता.

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ऐसे में अब मामला काफी पेचीदा हो गया है और चर्चा फिर ये होने लगी है कि क्या कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की एचडी कुमारस्वामी सरकार बच पाएगी या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने गेंद स्पीकर के पाले में डाल दी है, ऐसे में ना तो विधायकों के इस्तीफे पर फैसला हो पाया और ना ही अयोग्यता पर. ऐसे में ये खेल पूरी तरह से फ्लोर टेस्ट पर निर्भर हो गया है. यानी गुरुवार को जो सुपर ओवर ओवर होगा, उससे ही साफ होगा कि कर्नाटक की सियासत का विजेता कौन है.

गुरुवार को जब विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होगा, तो क्या-क्या परिस्थितियां बन सकती हैं. एक नज़र डालें...

-    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार 16 बागी विधायकों पर फैसला लेंगे. इनमें 13 विधायक कांग्रेस और 3 विधायक जेडीएस के हैं. स्पीकर के अनुसार, बागी विधायकों पर इस्तीफा और अयोग्यता का मामला है. ऐसे में इनमें क्या निर्णय लेना है, अदालत ने स्पीकर को छूट दे दी है.

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-    स्पीकर रमेश कुमार अब गुरुवार तक इस पर फैसला कर सकते हैं. अगर विधायकों की योग्यता रद्द होती है, तो बागी विधायक इस कार्यकाल के दौरान कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. हालांकि, विधानसभा भंग होने के बाद वह चुनाव लड़ सकते हैं. अगर उनका इस्तीफा स्वीकार होता है तो वह फ्लोर टेस्ट के दौरान वोट नहीं कर पाएंगे.

-    गुरुवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होना है. ऐसे में कुमारस्वामी सरकार के सामने बहुमत साबित करने की चुनौती है. जो बागी विधायक इस्तीफे पर अड़े हैं, उनके सामने विकल्प है कि वह फ्लोर टेस्ट के समय विधानसभा में जाएं या नहीं. हालांकि, कांग्रेस की ओर से व्हिप जारी किया गया है, लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि विधायकों पर कांग्रेस का व्हिप लागू नहीं होगा.

-    कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सीटें हैं. इनमें कांग्रेस के पास सिर्फ 100 विधायक हैं. जबकि बीजेपी के पास कुल 105 विधायक हैं, इसके अलावा बीजेपी निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा भी करती है.

कांग्रेस: 79 – 13 = 66

जेडीएस: 37 – 3 = 34

बसपा: 1

कांग्रेस + जेडीएस = 100

कांग्रेस + जेडीएस + बसपा: 101

बीजेपी: 105

निर्दलीय: 1

KPJP: 1

16 विधायक जो इस्तीफा दे चुके हैं

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एक वोट स्पीकर का है, जो सिर्फ उस स्थिति में वोट करते हैं जब वोटों की संख्या फ्लोर टेस्ट में बराबर हो जाए.

-    अब अगर स्पीकर विधायकों को अयोग्य करार देते हैं या फिर उनका इस्तीफा स्वीकार करते हैं. दोनों मामलों में कुमारस्वामी सरकार के सामने बहुमत साबित करने का संकट पैदा हो सकता है.

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