करगिल युद्ध: 1984 का प्लान, 15 साल बाद PAK के 'गैंग ऑफ 4' ने दिया साजिश को अंजाम

एक तरफ जहां आज हिंदुस्तान में इस लड़ाई के 20 साल पूरे होने पर जश्न मनाया जा रहा है, इसी बीच हम आपको बताते हैं कि पाकिस्तान ने किस तरह करगिल पर कब्जा करने की साजिश रची थी.

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करगिल लड़ाई के 20 साल (फाइल फोटो) करगिल लड़ाई के 20 साल (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 9:30 AM IST

शुक्रवार को करगिल की लड़ाई के 20 साल पूरे हो रहे हैं. इस लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी और करगिल की पहाड़ी पर चढ़े पाकिस्तानी जवानों को खदेड़ दिया था. एक तरफ जहां आज हिंदुस्तान में इस लड़ाई के 20 साल पूरे होने पर जश्न मनाया जा रहा है, इसी बीच हम आपको बताते हैं कि पाकिस्तान ने किस तरह करगिल पर कब्जा करने की साजिश रची थी. पाकिस्तान इस प्लान को 1984 में लागू करना चाहता था लेकिन 1999 में कर पाया.

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पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार नज़म सेठी ने पाकिस्तानी चैनल को दिए एक इंटरव्यू में पूरा किस्सा सुनाया था. नज़म सेठी के अनुसार, इस मुद्दे पर हिंदुस्तान में कई तरह की किताबें लिखी गई हैं लेकिन पाकिस्तान में काफी कम किताब लिखी गई हैं.

उन्होंने बताया कि 1984 में जब पाकिस्तान में जनरल जिया उल हक का शासन था तो भारत ने सियाचिन की पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था. लेकिन जिया उल हक ने देश में इस बात को नहीं बताया क्योंकि उन्हें लगता था कि ऐसे में उनके खिलाफ देश में गुस्सा पनपेगा.

लेकिन तभी उनके DGMO ने जिया उल हक को एक प्लान बताया और कहा कि हम सियाचिन वापस ले सकते हैं. DGMO के मुताबिक, अगर हम सियाचिन वापस लेते हैं तो उसमें दिक्कत नहीं होगी. क्योंकि जिस तरह हिंदुस्तान ने सर्दियों में कब्जा किया, हम भी अगली सर्दी में ऐसा कर सकते हैं. जिया उल हक ने पूछा कि क्या भारत पलटवार नहीं करेगा.

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नज़म सेठी बताते हैं कि DGMO ने समझाया कि हम सियाचिन में जाएंगे तो कश्मीर बॉर्डर पर फायरिंग हो सकती है ऐसे में हम वहां पर मुजाहिद्दीन को भड़का सकते हैं. लेकिन जिया उल हक को ये प्लान पसंद नहीं आया और मामला टल गया.

पाकिस्तानी पत्रकार नज़म सेठी के मुताबिक, अगर 1999 की बात करें तब पाकिस्तान में परवेज मुशर्रफ आर्मी चीफ थे. और उनका एक ग्रुप था जिस ‘गैंग ऑफ फॉर’ कहा जाता है. उसमें परवेज मुशर्रफ के अलावा जनरल अजीज (कश्मीर इलाके के हेड), जनरल महमूद और ब्रिगेडियर जावेद हसन शामिल थे.

नज़म सेठी ने बताया कि इन चार लोगों ने प्लान तब बनाया जब 1998 में नवाज शरीफ-अटल बिहारी वाजपेयी बस सर्विस की शुरुआत करने वाले थे, लेकिन परवेज मुशर्रफ को ये मंजूर नहीं था. तब गैंग ऑफ फॉर ने अपने प्लान पर आगे बढ़ने की ठानी.

पाकिस्तानी पत्रकार ने इंटरव्यू में कहा कि अक्टूबर 1998 में इन्होंने प्लान को मंजूरी दी, जनवरी 1999 में 200 लोगों को ट्रेनिंग देकर ऊपर भेजने को कहा गया. पहले टारगेट था कि भारत के 10 पोस्ट कब्जाएंगे, लेकिन ऊपर गए तो पूरा इलाका खाली था और बाद में और ज्यादा लोगों को बुलाया गया. नज़म सेठी के मुताबिक, भारत को मई में शक हुआ था और बाद में उन्होंने भी अटैक किया.

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खैर, मई के बाद जो हुआ वो पूरी दुनिया जानती है. भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को चुन-चुनकर मारा. पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी और उसे करगिल की पहाड़ियों से वापस लौटना पड़ा.

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