अदालतों में लंबित मामलों के मुद्दे को देखते करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि न्यायपालिका को 'त्वरित और वहनीय न्याय' के लिए अब भी लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना है.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 150वें स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि न्याय अवश्य पहुंच योग्य, वहनीय और त्वरित होना चाहिए ताकि लोग न्याय का मतलब समझ सकें.
राष्ट्रपति ने कहा कि विधि के शासन को कायम रखने वाले और स्वतंत्रता के अधिकार को लागू करने वाले के कारण न्यायपालिका की भूमिका पवित्र है और लोगों की इसमें आस्था और विश्वास हमेशा कायम रहना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'हालांकि भारतीय न्यायपालिका की कई ताकतें हैं, उसे त्वरित और वहनीय न्याय के लिए हमारे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना अभी बाकी है.' मुखर्जी ने कहा कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत बनाने और विधि के शासन को कायम रखने में स्वतंत्रता के समय से ही न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण है.
राष्ट्रपति ने कहा, 'भारतीय संविधान के तहत उच्च न्यायालयों का स्थान अनोखा है. वे न सिर्फ लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता के रक्षक हैं, बल्कि इसलिए यह भी सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है कि आर्थिक या किसी अन्य अशक्तता की वजह से किसी नागरिक को न्याय तक पहुंच से वंचित नहीं किया जाए.' उन्होंने कहा कि न्यायपालिका हमारे लोकतंत्र के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका संविधान की आखिरी व्याख्या करने वाली इकाई है और कानून की तरफ से गलतियों से तेजी से और कारगर तरीके से निपटकर सामाजिक व्यवस्था कायम रखने में उसे अवश्य मदद करनी चाहिए.
मोनिका शर्मा