जंतर-मंतर पर फिर हो सकेगा प्रदर्शन, SC ने कहा- नहीं लगा सकते पूर्ण रोक

न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि नागरिकों के प्रदर्शन करने और शांत जीवन जीने के दोनों परस्पर विरोधी अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है.

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जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की तस्वीर (पीटीआई) जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की तस्वीर (पीटीआई)

संजय शर्मा

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  • 23 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन या धरने पर लगी पूरी तरह से रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है. उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने या धरना देने पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग सकता है. पीठ ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह ऐसे प्रदर्शनों की अनुमति देने के लिए दिशा-निर्देश तय करें.

न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि नागरिकों के प्रदर्शन करने और शांत जीवन जीने के दोनों परस्पर विरोधी अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है.

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केंद्र को इस संबंध में दिशा-निर्देश तय करने का निर्देश देते हुए पीठ ने कहा कि जंतर-मंतर और बोट क्लब (इंडिया गेट) जैसी जगहों पर प्रदर्शन करने पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं हो सकता है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर इसको लेकर अगले दो महीने में विस्तृत गाइडलाइन बनाकर लाएं.

गौरतलब है कि पीठ जंतर-मंतर और बोट क्लब पर होने वाले सभी प्रदर्शनों पर राष्ट्रीय हरित अधिग्रहण द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती देने वाली यचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. हालांकि, पीठ ने ये भी कहा कि विरोध प्रदर्शन या प्रदर्शन आयोजित करने के लिए पुलिस अनुमति की आवश्यकता होती है.

एनजीओ 'मजदूर किसान शक्ति संगठन' और भूतपूर्व भारतीय सैनिकों के आंदोलन और अन्य ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर एनजीटी के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें एनजीटी ने इन स्थानों पर धरना प्रदर्शनों पर रोक लगा दी थी.

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आपको बता दें कि बीते साल अक्टूबर में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ऐतिहासिक जंतर मंतर क्षेत्र में सभी तरह के प्रदर्शन और धरनों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी. एनजीटी ने कहा कि गाय संरक्षण के नाम पर गौवंश और बैलगाड़ी लाना जंतर मंतर क्षेत्र में रह रहे लोगों के लिए मुश्किलों का सबब बनता है. प्रदर्शन स्थल प्रदर्शनकारियों के लिए जंग का मैदान बन गया है.

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