अनुच्छेद 370 को लेकर कांग्रेस दो हिस्सों में बंट गई है. एक धड़ा संसद में नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध कर रहा है तो दूसरा समर्थन में आ गया है. विरोध करने वालों में अधिकतर पार्टी के युवा नेता हैं, जो राहुल गांधी की टीम के माने जाते हैं. अनुच्छेद 370 के दो प्रावधानों को हटाने पर संसद की मुहर लग गई है. जम्मू-कश्मीर के दो हिस्से कर अब केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा.
कांग्रेस में एक तरफ अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, पी चिदंबरम जैसे अनुभवी नेता हैं, जो संसद में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाए जाने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं तो दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया, अदिति सिंह, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, जनार्दन द्विवेदी, अशोक चंदना, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे युवा नेता हैं, जो मोदी सरकार के फैसले का समर्थन कर रहे हैं. कांग्रेस के लिए यह मुश्किल वक्त इसलिए भी है क्योंकि उसका अपना स्टैंड इस मुद्दे पर साफ नहीं हो पा रहा है.
जब युवा कांग्रेसी नेताओं ने अनुच्छेद 370 का समर्थन किया तो पार्टी के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने उनकी ही आलोचना की और कहा कि जो जम्मू-कश्मीर का इतिहास नहीं जानते, उन्हें पार्टी में नहीं रहना चाहिए. उन्होंने कहा, जो लोग जम्मू-कश्मीर और पार्टी का इतिहास नहीं जानते, मुझे उनसे कुछ लेना-देना नहीं है. उन्हें जम्मू-कश्मीर और कांग्रेस का इतिहास पढ़ना चाहिए. इसके बाद उन्हें पार्टी में रहना चाहिए.
इन नेताओं के अलावा राहुल गांधी के करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान कांग्रेस के नेताओं ने भी 370 को हटाए जाने का समर्थन किया. सिंधिया ने लिखा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश में उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूं. संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता तो बेहतर होता, साथ ही कई प्रश्न भी खड़े होते हैं. लेकिन ये फैसला राष्ट्र हित में लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूं. लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है, जहां पार्टी के युवा और बुजुर्ग नेताओं का रुख मिलता नजर नहीं आ रहा है.
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