DUSU में ABVP की जीत का मतलब 2019 में भी जीतेगी बीजेपी!

कम से कम पांच लोकसभा चुनावों के नतीजों में यह संयोग देखा गया कि एक साल पहले जिस पार्टी से जुड़े छात्र संगठन ने DUSU चुनाव में जीत हा‍सिल की, वह सत्ता में आ गई. इसलिए चर्चा चल पड़ी है कि क्या अब 2019 में फिर बीजेपी को जीत मिलेगी? 

Advertisement
प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

दिनेश अग्रहरि

  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 3:18 PM IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ (DUSU) चुनावों में एक बार फिर ABVP ने जीत का परचम लहराया है. ABVP ने डूसू चुनाव में तीन पदों पर जीत दर्ज की है वहीं, NSUI को सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई है. इससे इस बात की चर्चा चल रही है कि अब 2019 के चुनाव में भी बीजेपी को जीत मिलेगी, क्योंकि परंपरागत तौर पर तो ऐसा ही देखा गया है.

Advertisement

इस नतीजे से कांग्रेस में जहां निराशा है, वहीं बीजेपी समर्थकों की खुशी का ठिकाना नहीं है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) बीजेपी के मातृ संगठन RSS की ही एक आनुषांगिक ईकाई है. इसलिए एबीवीपी की जीत पर बीजेपी नेताओं और उनके समर्थकों की खुशी को समझा जा सकता है.

DUSU अध्यक्ष पद पर ABVP उम्मीदवार अंकिव बसोया ने जीत दर्ज की है. इसके अलावा उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव के पद पर भी ABVP की जीत हुई है. डूसू उपाध्यक्ष पद पर ABVP से शक्ति सिंह, सचिव पद पर NSUI से आकाश चौधरी और संयुक्त सचिव पद पर ABVP की ज्योति चौधरी ने जीत दर्ज की है.

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इस जीत का संकेत यह है कि बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए सरकार 2019 में फिर से सत्ता में आएगी? असल में DUSU चुनाव और लोकसभा चुनाव के बीच यह चौंकाने वाला संयोग देखा गया है. कई बार ऐसा देखा गया कि DUSU चुनाव के एक साल बाद जब लोकसभा चुनाव हुए तो उसमें DUSU में जीत हासिल करने वाले संगठन से जुड़ी पार्टी सत्ता में आ गई. साल 1997, 1998, 2003, 2008 और 2013 में ऐसा होता देखा गया.

Advertisement

इस साल के DUSU नतीजे बिल्कुल 2013 के जैसे हैं. साल 2013 में भी ABVP ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद पर जीत हासिल की थी. इसके अगले साल ही लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने मनमोहन सिंह सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था. एनडीए को कुल 325 सीटें और बीजेपी को अकेले 282 सीट हासिल हुई थी.

साल 1997 के DUSU चुनाव में ABVP ने क्लीन स्वीप करते हुए चारों सीटों- अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव- पर जीत हासिल की थी. इसके एक साल बाद 1998 में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को जीत मिली थी और अटल बिहारी के नेृतृत्व में बीजेपी सत्ता में आ गई थी. 1998, 2003, 2008 में आए DUSU के नतीजों के बाद भी लोकसभा चुनावों में भी यह कनेक्शन देखा गया.

इस साल के DUSU नतीजे 2013 की तरह ही हैं, तो देखना यह होगा कि क्या इतिहास अपने को दोहरा रहा है? यानी इस साल DUSU में ABVP की जीत का मतलब है कि 2018 में क्या फिर से एनडीए सरकार वापस आएगी? 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement