भारत, रूस और ईरान शुक्रवार अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) को लेकर मुलाकात करेंगे. रेल, सड़क और समुद्री परिवहन वाले 7,200 किमी लंबे इस कॉरिडोर पर साल 2000 में तीनों देशों ने सहमति जताई थी. इस कॉरिडोर के शुरू होने से रूस, ईरान, मध्य एशिया, भारत और यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ावा मिलेगा. इससे सामानों की आवाजाही में समय और लागत की बचत होगी.
ये कॉरिडोर हिन्द महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के जरिए कैस्पियन सागर से जोड़ेगा और फिर रूस से होते हुए उत्तरी यूरोप तक पहुंच बनाएगा.
समय और लागत की होगी बचत
इस कॉरिडोर की अनुमानित क्षमता हर साल 20 से 30 मिलियन टन माल है. INSTC के अमल में आने पर माल ढुलाई के समय और लागत में 30 से 40 प्रतिशत की कमी आएगी. इस कॉरिडोर को उत्तरी यूरोप को भारत और दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसके तहत ईरान, अज़रबैजान और रूस के रेल मार्ग भी जुड़ जाएंगे.
इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड एनालिसिस (आईडीएसए) से जुड़ी विशेषज्ञ एम एस रॉय की रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम और मध्य एशिया में भारत के सामरिक हितों और दक्षिण, मध्य एवं पश्चिम क्षेत्र के बीच वृहद आर्थिक व ऊर्जा सहयोग की जरूरत को देखते हुए विस्तारित पड़ोस की अवधारणा के लिए यह परियोजना महत्वपूर्ण है.
बता दें कि ईरान के राष्ट्रपति हसन रुहानी जब इस साल फरवरी में भारत दौरे पर आए थे तो इस कॉरिडोर पर चर्चा भी हुई थी. वहीं रूस भी शुरू से ही इस कॉरिडोर को विकसित करने में गहरी रुचि दिखा रहा है.
सुरेश प्रभु ने की थी जल्द शुरू करने की मांग
भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आईएनएसटीसी को 'ईरान के माध्यम से रूस और उत्तरी यूरोप में हिंद महासागर और फारस खाड़ी को जोड़ने वाला सबसे छोटा बहुआयामी परिवहन मार्ग' बताया था. केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु इस कॉरिडोर को जल्द से जल्द शुरू करने की मांग कर चुके हैं.
OBOR के जवाब में INSTC
इस परियोजना को चीन की वन बेल्ट, वन रोड (OBOR) पहल के जवाब में माना जा रहा है. चीन जहां अपनी इस पहल के जरिए यूरोप के साथ स्मूथ कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने की कोशिश में है तो वहीं भारत INSTC के जरिए सुदूर मध्य एशिया और यूरेशियाई क्षेत्रों तक अपनी बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने में जुट गया है.
बता दें कि चीन, पाक के ग्वादर पोर्ट से शिनजियांग तक चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) बना रहा है, जो पाक के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से गुजरेगा.
ये कॉरिडोर चीन के OBOR प्रोजेक्ट का ही हिस्सा है. भारत, CPEC को लेकर अपना विरोध भी जता चुका है. चीन से पाकिस्तान के बीच CPEC की कुल लंबाई करीब 3000 किलोमीटर है. इसके मुकाबले INSTC की लंबाई 7200 किलोमीटर है.
देवांग दुबे गौतम