फ्रांस में भारतीय वायुसेना का युद्धाभ्यास, राफेल के साथ सुखोई का दिखा दम

फ्रांस से लड़ाकू विमान राफेल की भारत आने की तैयारी हो रही है. इससे पहले इन दिनों इसकी ताकत को भारतीय सेना के जांबाज आजमा रहे हैं. फ्रांस में आजतक की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर राफेल के दम का जायजा लिया, जहां राफेल और सुखोई 30 की तुकबंदी ने सबको हैरान कर दिया.

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राफेल और सुखोई 30 की तुकबंदी  (फोटो-ANI) राफेल और सुखोई 30 की तुकबंदी (फोटो-ANI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 11:03 AM IST

फ्रांस से लड़ाकू विमान राफेल की भारत आने की तैयारी हो रही है. इससे पहले इन दिनों इसकी ताकत को भारतीय सेना के जांबाज आजमा रहे हैं. फ्रांस में 'आजतक' की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर राफेल के दम का जायजा लिया, जहां राफेल और सुखोई 30 की तुकबंदी ने सबको हैरान कर दिया.

अब ये जोड़ी हिंदुस्तान की हवाई ताकत को कई गुना बढ़ाने वाली है.फ्रांस और भारत के बीच मॉन दे मर्शां शहर में अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास चल रहा है. गरुड़ युद्धाभ्यास में दोनों देश की एयरफोर्स ने बड़े स्तर पर अपनी ताकत को परखा. राफेल और सुखोई में सवार होकर फ्रांस और भारतीय सेना के जांबांज पायलटों ने युद्धाभ्यास किया. गरुड़ युद्धाभ्यास के दौरान भारतीय वायुसेना के उप वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया ने खुद राफ़ेल लड़ाकू विमान उड़ाया.

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एयर मार्शल आरकेएस भदौरिया राफेल लड़ाकू विमान की डील करने वाली टीम के चेयरमैन रहे हैं और अब वो बेसब्री से राफेल के भारतीय सेना में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं. इस संयुक्त इंडो-फ्रेंच युद्ध अभ्यास में मिराज 2000, सुखोई 30 एमकेआई, अल्फा जेट विमान ने दम दिखाया. इसमें युद्ध के दौरान होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए विमानों के बीच तालमेल बनाने की कोशिश का अभ्यास किया गया.

दोनों देशों के बीच यह छठा साझा युद्धाभ्यास है. 5वां गरूड़ साझा युद्धाभ्यास जोधपुर वायुसैनिक अड्डे पर 2014 में हुआ था. ये वायुसैनिक अभ्यास अब तक का सबसे बड़ा है. भारतीय वायुसेना के 120 योद्धाओं की टुकड़ी फ्रांस पहुंची है. इनमें सुखोई 30 एमकेआई विमान, सी17 ग्लोबमास्टर मालवाहक विमान और आईएल 78 ईंधन भरने वाले विमान शामिल हैं. भारत ने फ्रांस के साथ जिन 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा किया है. उसकी पहली खेप सितंबर 2019 तक आनी है, जिसके बाद हिंदुस्तान की आसमानी ताकत का दुनिया के किसी मुल्क के पास तोड़ नहीं होगा.

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