EXCLUSIVE: रविवार को समुद्र में उतारी जाएगी भारत की पहली परंपरागत पनडुब्बी कलवरी

कलवरी को लेकर बंदरगाह स्वीकृति परीक्षण लगभग पूरा हो गया है और यह समुद्री परीक्षण के लिए सजधज कर तैयार है.

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भारतीय पनडुब्बी कलवरी भारतीय पनडुब्बी कलवरी

स्‍वपनल सोनल / जुगल पुरोहित

  • नई दिल्ली,
  • 30 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 11:29 AM IST

अप्रैल महीने का यह आखि‍री हफ्ता देश के लिए उपलब्धि‍यों भरा होने वाला है. इसरो ने गुरुवार को जहां नेविगेशनल सेटेलाइट IRNSS-1G को लॉन्च कर बड़ी कामयाबी हासिल की, वहीं रविवार को फ्रेंच डिजाइन पर आधारित पहली परंपरागत डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बी 'कलवरी' समुद्र में उतरने को तैयार है.

विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि प्रोजेक्ट-75 (कोड नेम) को लेकर बंदरगाह स्वीकृति परीक्षण लगभग पूरा हो गया है और यह समुद्री परीक्षण के लिए सजधज कर तैयार है. प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्र ने कहा, 'पर्यवेक्षी अधिकारियों के साथ-साथ चालक दल के सदस्य भी कलवरी के लिए समुद्री परीक्षण को तैयार हैं. यह प्रक्रिया 5-6 महीने चलेगी.'

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बताया जाता है कि कलवरी को इस जांच के लिए पिछले हफ्ते ही समुद्र में उतारा जाना था, लेकिन अंतिम समय में इसके समय को बदल दिया गया. परीक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद पनडुब्बी को नौसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा.

सितंबर में नौसेना के बेड़े में शामिल करने की योजना
कलवरी को सितंबर के आसपास नौसेना में शामिल किए जाने की योजना है. जबकि इससे पहले 2012 में ही इसे नौसेना में शामिल किए जाने की योजना थी. अक्टूबर 2015 में इसे गहन परीक्षण के लिए पानी में उतारा गया था. इसका निर्माण फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस के तकनीकी सहयोग से किया गया है. इसे पंटून से अलग कर समुद्र में छोड़ा गया. इसे अप्रैल 2015 में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने गोदी के बाहर निकाले जाने के लिए हरी झंडी दी थी. इस गोदी में इस श्रेणी की पहली छह पनडुब्बियां बनाई जानी है. कलवरी उनमें की पहली पनडुब्बी है.

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क्या और कैसी है कलवरी पनडुब्बी
कलवरी पनडुब्बी की लंबाई 67 मीटर और मोटाई 6.2 मीटर है. इसमें डीजल इंजन लगा है और इसको इस तरह से बनाया गया है कि इंजन का शोर कम हो और यह युद्ध के समय ‘चुपके’ से अपने काम को अंजाम दे सके. वायु-मुक्त प्रणोदन प्रणाली लगे होने से यह लंबे समय तक पानी के अंदर रह सकती है. इसमें पोत मारक मिसाइलें और टारपीडो लगे होंगे.

हर 9 महीने में एक पनडुब्बी
प्रोजेक्ट-75 में पहले ही काफी देरी हो चुकी है. कलवरी के बाद पांच और पनडुब्ब‍ियों का निर्माण होना है. इस पूरे प्रोजेक्ट को 2020 तक पूरा करना है. इस लिहाज से हर 9 महीने में एक पनडुब्बी का निर्माण होना है. नौसेना के पास वर्तमान में 14 पनडुब्बियां हैं. भारतीय पनडुब्ब‍ियों की औसत उम्र करीब 25 साल है. एक अध‍िकारी कहते हैं, 'यह वह नाव है जहां निर्माता को अपनी हर एक क्षमता को पूरा कर दिखाना है, जिसका कि उन्होंने हमसे वादा किया है. थोड़ी जल्दबाजी भी है. हमें उसकी क्षमताओं के प्रदर्शन से संतुष्ट हो जाने दो.'

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