रेल लाइनों की एरियल मैपिंग और ड्रोन वीडियोग्राफी का निर्देश

जीआईएस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल रेलवे के सभी चल-अचल संपत्ति की मॉनिटरिंग के लिए किया जाएगा और रेलवे के लिए जीआईएस प्लेटफार्म काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिए रेलवे में पूरी नजर रखी जा सकेगी साथ ही अनावश्यक खर्चों से भी बचा जा सकेगा.

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वीडियोग्राफी अगले साल 31 मार्च तक होगी पूरी वीडियोग्राफी अगले साल 31 मार्च तक होगी पूरी

सिद्धार्थ तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 12:12 AM IST

रेलवे बोर्ड ने देश भर में चल रहे रेलवे के सभी प्रोजेक्ट और संस्थानों की एरियल मैपिंग कराने का फैसला किया है. देशभर में रेलवे की पूरी संपदा और प्रोजेक्ट ड्रोन कैमरे के जरिए वीडियो ग्राफ किए जाएंगे. रेलवे बोर्ड ने इसके लिए देशभर में सभी रेलवे संस्थानों को निर्देश जारी कर कहा है कि पहले राउंड में रेलवे के सभी ऑपरेशनल रूट्स की वीडियोग्राफी अगले साल 31 मार्च तक पूरी कर ली जाए इसके लिए बोर्ड ने गाइडलाइन भी जारी कर दी हैं.  

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रेलवे बोर्ड ने ड्रोन के जरिए सभी रेलवे प्रोजेक्ट और रेल लाइनों का वीडियो बनाने का निर्णय इसलिए लिया है ताकि रेलवे के लिए तैयार किए जा रहे जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम प्लेटफॉर्म को पूरा किया जा सके. रेलवे इसके लिए अनमैंड एरियल सिस्टम यानी यूएएस ड्रोन का इस्तेमाल मैपिंग के लिए करेगी. जीआईएस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल रेलवे के सभी चल-अचल संपत्ति की मॉनिटरिंग के लिए किया जाएगा और रेलवे के लिए जीआईएस प्लेटफार्म काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके जरिए रेलवे पर पूरी नजर रखी जा सकेगी साथ ही अनावश्यक खर्चों से भी बचा जा सकेगा.

ड्रोन के जरिए तैयार किए गए वीडियो और एरियल मैपिंग के जरिए मिले मानचित्रों का इस्तेमाल करके रेलवे अपने सभी आधे अधूरे प्रोजेक्ट पर नजर रख सकेगी और उनकी प्रोग्रेस का सही-सही अंदाजा लगा पाएगी. रेलवे बोर्ड की गाइड लाइन के मुताबिक एरियल वीडियोग्राफी उन जगहों पर इस्तेमाल की जाएगी जहां पर काम चल रहा है इसका इस्तेमाल कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग के लिए और संबंधित इलाके में जरूरी आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए किया जाएगा. रेलवे लाइन की मैपिंग के लिए फोटोग्रेमेट्री सर्वे किया जाएगा.

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