PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन के विरोध में हाई कोर्ट पहुंचे 1000 किसान

बुलेट टेन प्रोजेक्ट की अहमियत को देखते हुए इसकी डेडलाइन अगस्त 2023 से कम कर अगस्त 2022 कर दी गई थी.

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पीएम मोदी और शिंजो आबे (फाइल फोटो) पीएम मोदी और शिंजो आबे (फाइल फोटो)

भारत सिंह

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  • 20 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 10:45 AM IST

भारत और जापान के सहयोग से बन रही अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन के प्रोजेक्ट में नित नई अड़चनें सामने आती जा रही हैं. मुंबई में हो रहे विरोध के बाद अब इस प्रोजेक्ट के विरोध में 1000 किसानों ने गुजरात में हाई कोर्ट का रुख किया है.

इन किसानों ने हलफनामा देकर कोर्ट से अपील की है कि बुलेट ट्रेन के काम रोका जाए. 1.08 लाख करोड़ रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट को नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) आगे बढ़ा रहा है. इस प्रोजेक्ट के फंड का 80 फीसदी हिस्सा जापान ने भारत को सॉफ्ट लोन के तहत उपलब्ध कराया है.

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इस प्रोजेक्ट में गुजरात और महाराष्ट्र में करीब 1,400 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है. इसमें से 1,120 हेक्टेयर जमीन प्राइवेट ओनर के पास है. इस जमीन को दोनों राज्यों की सरकारों को अधिग्रहण करना है. इस जमीन के बदले में करीब 6,000 लोगों को मुआवजा दिया जाना है.

गुजरात हाई कोर्ट में पहले ही सूरत के पांच किसानों की अपील की सुनवाई चल रही है. इन किसानों ने गुजरात सरकार के जमीन अधिग्रहण के तरीके का विरोध किया है. इसके बाद अब 1,000 किसानों ने कहा है कि वे अपनी जमीन इस प्रोजेक्ट के लिए नहीं देना चाहते हैं.

इन किसानों का कहना है कि जमीन का अधिग्रहण करने में दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है. किसानों का आशय इस प्रोजेक्ट को फंड देने वाली जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) के निर्देशों से है. इसमें अधिग्रहण के पर्यवरणीय और सामाजिक प्रभाव की समीक्षा के लिए कमेटियां बनाने की बात कही गई है, जो कि इस मामले में देखने को नहीं मिला है. किसानों का कहना है कि इससे उन्हें पर्याप्त मुआवजा भी नहीं मिल रहा है.

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किसानों की मांग है कि इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार जमीन का अधिग्रहण करें. किसानों के मुताबिक चूंकि जमीन का अधिग्रहण दो राज्यों में होना है, इसलिए केंद्र इसमें शामिल हो और दोनों राज्यों के किसानों को समान दर से मुआवजा मिले. किसानों ने 2016 में गुजरात सरकार पर जमीन अधिग्रहण नियम (2013) को कमजोर करने का भी आरोप लगाया है.

बता दें कि अब किसान केंद्र सरकार के रुख के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकते हैं. इनका कहना है कि केंद्र जानबूझकर गुजरात हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करने में देर कर रहा है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के पीएम शिंजो आबे  ने सितंबर 2017 में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की नींव रखी थी. दिसंबर 2017 से इस प्रोजेक्ट का काम शुरू भी हो गया था. इस प्रोजेक्ट की प्राथमिकता को देखते हुए इसकी डेडलाइन अगस्त 2023 से कम कर अगस्त 2022 कर दी गई थी.

बता दें कि बुलेट ट्रेन के आने से मुंबई और अहमदाबाद के बीच की 500 किमी की दूरी को 320-350 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तय करेगी. दोनों शहरों के बीच में 12 स्टेशन होंगे.

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