सेना को छूट-इमरजेंसी फंड और सख्त विदेश नीति, गलवान के बाद भारत ने उठाए ये कदम

भारत और चीन के बीच लद्दाख इलाके में काफी वक्त से तनाव चल रहा है. लेकिन गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद स्थिति काफी बदल गई है और अब भारत ने सख्त फैसले लेने शुरू किए हैं.

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भारत-चीन की सरहद पर जारी है तनाव (PTI) भारत-चीन की सरहद पर जारी है तनाव (PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2020,
  • अपडेटेड 10:44 AM IST

  • भारत और चीन के बीच जारी है तनाव
  • गलवान घटना के बाद कई सख्त फैसले

लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के साथ जो धोखा किया, उसके बाद भारत ने सख्त रुख अपना लिया है. 15 जून की रात जब भारतीय सैनिकों का दस्ता चीन के सैनिकों से बात करने जा रहा था, तब उनकी तरफ से धोखा किया गया और भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया. इस हमले में भारत के 20 जवान शहीद हुए और इस बीते एक हफ्ते में अब भारत की ओर से कई कड़े फैसले लिए गए हैं. जो चीन को जवाब देने के लिए काफी हैं.

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प्रोटोकॉल की चिंता नहीं, अब खुली छूट

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पिछले कई वर्षों से जारी है, ऐसे में दोनों देशों के बीच समझौता है कि विकट परिस्थितियों में भी बॉर्डर पर हथियार का इस्तेमाल नहीं होगा. कोई भी सैनिक गोली नहीं चलाएगा, लेकिन गलवान की घटना में चीनी सैनिकों ने इसका उल्लंघन कर दिया.

चीनी सैनिकों ने नुकीले हथियारों से भारतीय जवानों पर हमला किया, लेकिन भारत के सैनिकों ने प्रोटोकॉल का पालन किया. इसपर कई तरह के सवाल उठने के बाद अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से सेना को खुली छूट है.

सूत्रों की मानें, तो सरकार ने कहा है कि अगर बात सैनिकों की जान पर आ जाती है और जान को खतरा होता है तो सेल्फ डिफेंस में कदम उठाएं और प्रोटोकॉल की चिंता ना करें.

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गलवान विवाद: चीन से निपटने को सेना को खुली छूट, लेकिन शांति के लिए जारी रहेगी बातचीत

सेना को मिली इमरजेंसी फंड की मंजूरी

गलवान घाटी में तनाव के बाद से ही भारत की तीनों सेनाएं सतर्क हैं. लद्दाख के पास लगातार थल सेना को भेजा जा रहा है, बॉर्डर और आसपास के इलाकों में तैनाती बढ़ाई जा रही है. साथ ही वायुसेना ने भी लेह एयरबेस पर अपने पैर जमा लिए हैं.

इस बीच सरकार की ओर से सेना को इमरजेंसी फंड दिया गया है. इसके तहत 500 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, साथ ही सेना को अब ये छूट है कि जरूरत के लिए वह किसी भी हथियार की खरीदारी तुरंत कर सकते हैं. ऐसे में किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए सरकार ने सेना का साथ दिया है.

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विदेश नीति के मोर्चे पर चोट

सिर्फ सैन्य तरीके से ही नहीं बल्कि विदेश नीति के मोर्चे पर भी चीन को घेरा जा रहा है. चीन से जारी विवाद के बीच पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात की थी. गलवान घाटी के बाद अमेरिका की ओर से भारत के पक्ष में कई बयान दिए गए हैं और घटना के लिए चीन को जिम्मेदार बताया गया है.

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इसके अलावा चीनी मीडिया जिस तरह से प्रोपेगेंडा फैला रहा है और वहां के विदेश मंत्रालय ने गलवान घाटी पर अपना दावा ठोका, भारत के विदेश मंत्रालय ने उसका कड़ा जवाब दिया. और चीन के झूठ का पर्दाफाश कर दिया.

इस बीच आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के लिए रवाना हो रहे हैं, यहां कई अन्य देशों के प्रमुख और अधिकारी भी आएंगे. इस दौरान भारत ने यहां चीन को दरकिनार करने का फैसला किया है, राजनाथ अपने दौरे पर चीन के किसी अधिकारी या मंत्री से नहीं मिलेंगे. इसके अलावा भारत पहले ही मित्र देशों के सामने चीन के काला-चिट्ठा खोल चुका है.

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चीन से निपटने के लिए एकजुट हुआ देश

इन कड़े फैसलों के अलावा देश में चीन के खिलाफ गुस्से का माहौल है. भारत सरकार ने विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर एकजुटता दिखाने का काम किया. तो वहीं आर्थिक मोर्चे पर भी चीन को चोट दी गई, बीएसएनल-एमटीएनएल में अब सिर्फ देसी सामान का इस्तेमाल होगा तो वहीं रेलवे ने चीनी कंपनी से टेंडर वापस ले लिया. इसके अलावा आम लोग भी बड़े स्तर पर चीनी प्रोडक्ट का विरोध कर रहे हैं.

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