लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारतीय सेना के 20 जवानों की शहादत से देश गुस्से में है और हर तरफ चीन का बहिष्कार करने की मांग की जा रही है. इस बीच कांग्रेस ने दिल्ली-मेरठ सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका चीनी कंपनी को दिए जाने का मामला उठाया है. पिछले दिनों ही यह ठेका चीनी कंपनी को मिला है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा, 'हमारे 20 जवान शहीद हुए हैं. ऐसे में केंद्र सरकार को मजबूत संदेश देना चाहिए लेकिन सरकार ने दिल्ली-मेरठ सेमी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका चीनी कम्पनी को सौंप कर घुटने टेकने जैसी रणनीति अपनाई है. तमाम भारतीय कंपनियां भी इस कॉरिडोर को बनाने के काबिल हैं.'
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क्या है दिल्ली-मेरठ रेल कॉरिडोर
दिल्ली-मेरठ के बीच सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनना है. इस प्रोजेक्ट से दिल्ली, गाजियाबाद होते हुए मेरठ से जुड़ेगी. 82.15 किलोमीटर लंबे आरआरटीएस में 68.03 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और 14.12 किलोमीटर अंडरग्राउंड होगा. अंडर ग्राउंड स्ट्रेच को बनाने का काम चीनी कंपनी को दिया गया है.
क्यों हो रहा है बवाल
दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट के अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनाने के लिए सबसे कम रकम की बोली एक चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड (STEC) ने लगाई है. एसटीईसी ने 1126 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. चीनी कंपनी को ठेका दिए जाने का हर कोई विरोध कर रहा है.
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सरकार रद्द कर सकती है बिड
चीना सीमा पर विवाद के बाद भारत सरकार ने उन प्रोजेक्ट की समीक्षा शुरू कर दी है, जो चीनी कंपनियों को दी गई है. इसमें दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस प्रोजेक्ट भी है. सरकार की ओर से बिड को कैंसिल करने के लिए सभी कानूनी पहलुओं को देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि इस बिड को सरकार रद्द कर सकती है.
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