प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भूटान दौरे में दोनों देश करेंगे 10 समझौते

दो दिवसीय यात्रा के तहत प्रधानमंत्री मोदी 17 अगस्त को भूटान पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री की इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 10 एमओयू (मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर दस्तखत होंगे.

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भूटान में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज (फोटोः ANI) भूटान में भारत की राजदूत रुचिरा कंबोज (फोटोः ANI)

aajtak.in

  • थिम्फू,
  • 16 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार देश की सत्ता पर काबिज होने के बाद पहली बार भूटान दौरे पर जा रहे हैं. अपनी दो दिवसीय यात्रा के तहत प्रधानमंत्री मोदी 17 अगस्त को भूटान पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री की इस दो दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 10 एमओयू (मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर दस्तखत होंगे.

भूटान में भारत की राजदूत रुचिरा कुमार के अनुसार 10 समझौतों पर दस्तखत के अलावा प्रधानमंत्री पांच परियोजनाओं का लोकार्पण भी करेंगे.  उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस भूटान यात्रा को दोनों देशों के बीच साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में निरंतर किए जा रहे प्रयास के रूप में देखा जा सकता है.

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थिम्फू में भारत की राजदूत ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस दौरे के दौरान जो भी उपलब्धियां होंगी, वह प्रधानमंत्री मोदी के पिछले पांच साल के कार्यकाल के दौरान किए गए कठिन परिश्रम का परिणाम हैं.

रुचिरा कंबोज ने कहा कि भूटान ने पूरे दिल से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि भूटान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के न होने को विसंगति बताया है. भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए.

गौरतलब है कि पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले भूटान के प्रधानमंत्री डॉक्टर एल शेरिंग ने सोशल पर एक पोस्ट शेयर किया था. भूटानी प्रधानमंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष की पुस्तक 'एग्जाम वारियर्स' की तारीफ की थी. डॉक्टर शेरिंग ने पीएम मोदी को सरल और सहज व्यक्ति बताते हुए कहा था कि वह देश को आगे ले जाने वाले कड़े फैसले लेने में भी नहीं हिचकते.

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बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहले कार्यकाल के दौरान पड़ोसी प्रथम की नीति अपनाई थी. पीएम मोदी ने अपने विदेश दौरों की शुरुआत भी पड़ोसी देश भूटान से ही की थी. इसके अलावा डोकलाम विवाद के समय भी भूटान का पक्ष लेकर भारत मजबूती से चीन के समक्ष खड़ा हो गया था.

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